पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/१११

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गांधीजी तल पर कम्बलकी तरह फैला रहेगा और जलको दूषित किये या मच्छरोंको मारे बिना ही वह मच्छरोंको पानी में अंडे देने से दूर रक्खेगा। गंध पानीमें नहीं समाती। इस तरह मलेरियाके कीटाणुओंको पैदाइशको एक सस्ते,आसान और निर्दोष उपायसे रोका जा सकता है। मेरे बागमें एक छोटा खुला फौलादका बना कुंड है। उसमें प्रयोग करने पर यह उपाय कारगर साबित हुआ है । मेरा ख्याल है कि इन गोलियोंको अहमदाबाद के बाजारमें मैने बिकते देखा था इसलिए में मान लेता हूँ कि वे सुलभ हैं। पर अगर वे सुलभ न हो,तो भी कुछ वीव गन्धवाली बूटियां ऐसी मिल सकती हैं जो गच्छरोंको भगाने के लिए वैसी ही काममें आ सकती हैं। गोलियोंकी जगह इनका प्रयोग किया जा सकता है। कृमिनाशक गोलियाँ कुछ समयके बाद हवागें उड़ जाती है, इसलिए उनपर ध्यान रखना और समय-समयपर थैलियों में नई गोलियाँ डालते रहना पड़ेगा। " इसीधारणा पर दूसरी तरहसे भी अमल किया जा सकता है और वह यह कि गाँवके तालाबों या नदियोंके सटोपर कुछ विशेष जलप्रिय तीन गन्धवाली वनस्पतियाँ लगा दी जाय । ये वनस्पतियों पानीके बिलकुल पास होगी। ज्यादातर मच्छर अपने अंडे छिछले पानीपर देते हैं, इसलिए कीटडिभ छोटी मछलियोंका खाद्य बननेसे बच जासकते हैं। अगर सही वनस्पतियाँ चुनी जाय--वे. जिनको गन्ध मच्छड़ोंको दूर भगानेवाली होती हैं और इन स्थानों रोपकर उगाई जायें तो, संभवतः इस तरकीबसे मलेरियाका विनाश किया जा सकता है। जी हो, मैं इन धोनों तरीकोंको प्रयोग करने योग्य समझता हूँ। "मिंट' जातिकी बूटियाँ मन्छरोंको रोकने के लिए प्रसिद्ध है। थी 'ग्रेग एक सावधान विचारक हैं। वह किसी वीणको पहलेसे ही नहीं मान लेते। उनके पत्रके अंतिम पैरेसे प्रकट होता है कि वह व्यौरकी बातोंका कितना ध्यान रखते है और कैसी भयावहारिक प्रकृतिके आक्मी हैं। लेकिन मैं जानता हूँ कि तार्किक चिन्तमको बड़ी से बड़ी मात्रा भी पृथ्वीपर अहिंसाका , राज्य स्थापित न कर सकेगी। केवल एक ही चीज इस कामको कर सकती है और वह है राष्ट्रीय स्वतंयताप्राप्त करने और उसकी रक्षा करने में अहिंसा की सामध्यको बिना किसी संवेहके प्रदर्शित कर सकनेको भारतकी योग्यता । हरिजन-सेवक १५ जून, १९४० ,