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हिटलरशाहीसे कैसे पेश आयें? हिटलर अंतमें कैसा ही साबित हो, हिटलरशाहीका जो अर्थ बन गया है वह हम जानते है। इसका अर्थ है बलका नग्न और क्रूर प्रयोग जिसे ठोक विज्ञानमें घटा दिया गया है और वैज्ञानिक शोधके साथ जिसे काममें लाया रहा है। इसका असर लगभग अबम्य होता है। सत्याग्रहको शुरुआतके दिनों में जब कि उसे निष्क्रिय प्रतिरोष ही कहा जाता था, जोहान्सवर्गके "स्टार" पत्रको शस्त्रास्त्रसे खूब सज्मिस सरकारके खिलाफ मुट्ठी भर ऐसे भार- सीयोंको उठते हुए देशकर, जो निशस्त्र ही नहीं बल्कि चाहते तो भी संगठित हिंसाके अनुप- युमत थे, बड़ा आश्चर्य हुआ। उनपर रहम खाकर उसने एक व्यंग्य-मित्र छापा, जिसमें सरकारको अदम्य बल-सूचक स्टीम-रोलरका रूप दिया गया था और निष्क्रिय प्रतिरोषको ऐसे हायोको पाकल दी गई थी, जो अपनी जगहमर आरामके साथ अडिग बैठा हुआ था। उसे अविचलित पल बतलाया गयाया। अवम्य और अचल बलके बीच जो बन्द था उसकी बारीकीमें व्यंग्य-वित्रकार अच्छी तरह पहुंच गया। उस वक्त एक जिम पड़ी हुई थी। नतीजा जो हमा वह हम जानते ही है। जिसे अदम्य चित्रित किया गया था उसका सत्याग्रहके अञ्चल बलने, जिसे हम बबले को भावनाकै अगर कष्ट सहना कह सकते हैं, सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया। उस वक्त जो बात सत्य सावित हुई वह अब भी उतनी ही सत्य हो सकती है। हिटलर- शाहीको हिटलरशाही तरीकोंसे कभी पराजित नहीं किया जा सकेगा। उससे तो सगुनी लेज या ऊँचे परजेको हिटलरवाहीका ही पोषण होगा। हमारे सामने जो कुछ हो रहा है वह तो हिंसा और हिटलरशाहीको भी निष्फलताका ही प्रदर्शन है। हिटलरशाहीकी असफलतासे मेरा क्या मतलब है। यह मैं बतला। इसने छोटे राष्ट्रोंको उनकी स्वतंत्रतासे मंचित कर दिया है। इसने फांसको शासि-प्रार्थना करने लिए बाध्य किया है। जब यह लेख छपेगा, उस वक्त तक शायब विदेशको भी अपने सम्बन्धमे कुछ निश्चय कर लेना पड़े। मेरी बलोलके लिए तो फ्रांसफा पतन ही काफी है। मेरे ख्यालमें, जो अनिवार्य या उसके आगे सिर झुकाकर और मूर्खतापूर्ण आपसी कत्लेआममें भागीदार बनने से इन्कार करके फ्रांसीसी राजनीतिज्ञोंने असाधारण साहसका परिचय दिया है। अपना सबकुछ खोकर फ्रांसके विजयी बननेका कोई अर्थ नहीं है। स्वतंत्रताका जिन्हें उपभोग करना है उन सबका ही उसे प्राप्त करनेमें खात्मा हो जाये तो स्वतंत्रता प्राप्तिका यह प्रयत्न उपहास्य हो जाता है। उस हालत में यह महत्वाकांक्षाका निन्दनीय संतोष बन जाता है। फ्रांसीसी सैनिकोंकी वीरता विश्वविख्यात है। लेकिन शांतिका प्रस्ताव रखनमें फ्रांसीसी राजनीतिज्ञोंने उससे भी बड़ी को बहादुरी बतलायी है उसे भी बुमियाँको जान लेना चाहिए। मेरे ख्यालमें फ्रांसीसी राजनीतिज्ञोंने यह मार्ग सच्चे सैनिकोंको शोभा देने लायक पूरे सम्मानपूर्ण तरीकेसे पहण किया है। इसलिए म आशा करनी चाहिए कि हैर हिटलर .