पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/११४

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खुश भी और रंजीदा भी १८ तारीखको गने 'हरिजन'मे यह आशा प्रकट की थी.-"अगर मेरी बलील गले उत्तर गई है, तो क्या वक्त नहीं आ गया कि हम बीरोंको हिंसामे अपनी मटल श्रद्धाको घोषणा कर और कह दे कि हम अपनी आजादीकी रक्षा शस्त्र-बलसे नहीं करना चाहते, हम उसकी रक्षा अहिंसक बलसे ही करेंगे।" २१ तारोक्षको घकिंग फमेटोले जाहिर किया कि मौका आनेपर वह इस श्रद्धाको अमलने नहीं ला सकेगी। कमेटीको इससे पहले अपनी श्रद्धाको कसौटीपर कसनेका मौका नहीं आया था। पिछली बैठकमें उन्हें आनेवाली देशको भौतरी अरामकता, और बाहरी आक्रमणके खतरेका सामना करनेका रास्ता निश्चित करना था। मैने कमेटीको बहुत समझाया। अगर आप लोग शूरवीरोंकी अहिंसा विश्वास रखते है, तो आज इसपर अमल करनेका मौका है। बहुतसे चल किसी प्रकारको अहिंसा में विश्वास नहीं रसते। यही तो और भी बड़ा कारण है कि काँग्रेसवादी एकाएक आ पड़ी परिस्थितिका सामना अहिंसासे करे। अगर सबके सब लोग अहिंसक रहते, तो अराजकता हो ही नहीं सकती थी और बाहरी आक्रमणका सामना करनेके लिए हथियार-बन्दीका प्रश्न ही नहीं उठ सकता था। हिसा-बलका उपयोग करनेवाले दलोंके बीच काँग्रेस ही एक ऐसा बल है जो अहिंसा भागनेवाला बल है। इसलिए काँग्रेसवारियोंके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह विक्षा है कि वह अपनी अवापर अमल भी कर सकते है। मगर किंग कमेटी के सदस्योंको लगा कि कॉग्रेस इसपर अमल नहीं कर सकेगी। इस तरह अमल करना उनके लिए एक नया ही अनुभव होगा। उनको पहले कभी ऐसी जोखमभरी परिस्थितिका सामना नहीं करना पड़ा है। कौमी फसादों बरा का निपटारा करनेके लिए शान्ति सेना तैयार करनेको मेरो योजना सर्वथा निष्फल हुई है। इस हालतमें कमेटी अब अहिं- सका मीलिसे काम नहीं ले सकती। मेरी स्थिति भिन्न थी। कांग्रेसको लिए हिंसा एक नीति मात्र थी। अगर वह निष्फल हुई, तो कांग्रेस उसे छोड़ सकती थी। हिंसा आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता नहीं ला सकती। कांग्रेसके लिए तो वह निकम्मी है। मेरे लिए तो हिसाधर्म है। मुझे उसपर अमल करना ही है। भले ही मै अकेला रह जाय। अहिंसाका प्रचार मेरे जीवनका ध्येय है, सो मुझे हरएक परिस्थितिमें उसके पीछे लगे ही रहना है। मैंने देखा कि आन ईश्वर और मनुष्य के सामने मेरी अखाकी परीक्षाका मौका है। इसलिए कमेटीफे कार्यको जिम्मेदारोसे मैंने मुक्ति माँगी। आमस काग्रेसको भौतिक संचालनकी जिम्मेवारी मुझपर रही है। मगर अब, अबकि उनमें और मुझमें मौलिक अंतर पाये गये, मैं ऐसा नहीं कर सकता था। उन्होंने मान लिया कि कि में जो कहता था वह ठीक ही था और उन्होंने मुक्ति दे दी। उन्होंने एकबार फिर साबित कर