पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/११८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अहिंसा - . अहिंसाका प्रचार करते हैं । ऐसी अहिंसा व्यापक प्रेममेसे ही निकलती है, वह ज्यादती करनेवालोंके प्रनि ओर दुश्मनके प्रति भी प्रेम सिखाती है। अगर मै सही समझता हूँ, तो आपके मतानुसार दुश्मनको नुकसान पहुंचानेकी ताफन रखते हुए भी हमें उसके साथ अहिंसक बर्ताव रखनेका प्रयत्न करना चाहिए। "मगर आपकी इस सब शिक्षाका अमली नतीजा जो देखने में आता है वह यह है कि आपके अधिकांश अनुयायियोंको इम किस्मकी अहिंसाकी कल्पना ही नहीं है। वे अहिंसक है क्योंकि वे मानते हैं कि अगर दुर्जनका सामना हिंसासे करेंगे तो उसका कोप और बढ़ेगा। इसका नतीजा यह होगा कि वह और भी ज्यादा हिंसाका इस्तेमाल करेगा, जिसको वह झेल नहीं सकेंगे । सो उनकी अहिंसाके पीछे प्रेम नहीं, डर और बुजदिली है । विचार यह है कि अपनी जान कैसे बचायें, यह नहीं कि उच्च आदर्श के लिए उसे खतरे में डालें। मैं एक मिसाल देता हूँ:- १९२२के असहयोगके दिनों में एक सज्जन थे, जिनका अब देहान्त हो चुका है। क्रिमिनल लॉ एमेण्टमेंट के अनुसार वह गिरफ्तार हुए और कैद किये गये। यह एक अमन-पसन्द शहरी थे, राजनीतिमें उन्हें दिलचस्पी नहीं थी। मुझे यह आशा नहीं थी कि वह राजनीसिकी खातिर अपनी स्वतंत्रताको खतरेमें डालेंगे। उन्हें जेल में देखकर मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने खुशीसे जेल जानेकी हिम्मत कैसे की। उन्होंने उत्तर दिया कि जेलके बाहर उन्हें ज्यादा नुकसानका डर था, उनपर छाप यह थी कि राजनीतिक हलचलके कारण सब जगह झगड़े-फसाद होंगे और उन्हें यकीन था कि आखिरमें सरकार गोली चलाने पर उतरेगी। उन्हें लगा कि अलके अन्दर वह सुरक्षित रहेंगे भीर मौतसे बच जायेंगे। मेरी समागमें जब आपने लोगोंको खुशीसे जेल जानेको वाहा था, तब आपके मन में यह चीज हरगिज नहीं थी। मेरी रायमें अगर कोई कमजोरीके. 1 कारण अहिंसक बनता है तो वह आक्रमण करनेवालेका कभी सामना नहीं करेगा। मेरा तो यह दृढ़ विश्वास है कि इन घबराहट और परेशानी के दिनों में आपकी कलमसे निकले हुए चन्द लेख हमारे नौजवानों के हृवयमेंसे सब उर निकाल देंगे और उनमें एक जान डाल देंगे, जिससे वह समाजमें गुंडईका सामना कर सकें। 'हरिजन' के पिछले अवामें एक ऐसा लेख निकल चुका है। मगर मेरा मत है कि जो लोग शारीरिक शक्ति तो रखते हैं, लेकिन घबराहट से बेजान पड़े हुए हैं उनमें हिम्मत और बहादुरी लाने के लिए एक लेखमालाकी जरूरत है। मेरी रायसे अगर आप हर हपत 'हरिजन' में इस विषय पर थोड़ी-सी पंक्तियाँ लिखनेकी कृपा करेंगे तोसब भय, हड़कम्प और परेशानी अपने आप मिट जायगी। हमारी घबराहटसै गुंडोंकी हिम्मत और बढ़ रही है, जैसे ही हमारी घबराहट दूर हो जाएगी हमारे समाजमें गुंखे और बदमाश भी नहीं रहेंगे। यह पत्र सामान्य कांग्रेसवानीको मानसिक स्थितिका सही चित्र देता है। जिस अहिंसाका लेखको उल्लेख किया है वह कभी हमें हमारे ध्येय तक नहीं पहुँचा, सकती। अगर हम इसके बारा शूरवीरोंकी सच्ची भहिंसा तक पहुँच सकते हैं तो मैं मानूंगा कि इस कमजोरीको आँहसासे भी हमें फायदा ही हुआ है । जिसने शूरवीरोंकी अहिंसाका शब लिया है वह अकेले सारे दुनियाकी जबरदस्स-से-जबरदस्त ताकतोंका एकसाथ मुकाबला कर सकता है। हर एक कांग्रेसवालोंको मापने दिलसे पूछना चाहिए कि क्या उनमें शूरवीकी अहिंसाको अपनानेकी हिम्मत है ? इस आदर्श स्थितिको पाने के लिए किसी चीजकी जरूरत नहीं है सिवाय इसके ।