पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/११९

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गांधीओ 1 कि अपने ध्येयके खातिर अपना तन-मन-धन खलरेमें डालनेकी उनकी तैयारी हो । जो आदमी ज्यावा नुकसानले बचने के लिए अहिंसाके नामसे जेलमें गया, उसे अहिंसासे नुकसान ही हुभा है। मौतसे बचने के लिए अहिंसाका आश्रय लेकर उसने अहिंसाको भी शमिना किया है। यह भाजावी लानेवाले लोहेके बने हुए होते है। यह तो एक सीधी बात है कि अगर हम विनामारे और बिना मारनेकी इच्छातक रखे मौतका सामना कर सकते है तो हमने स्वराज हासिल करनेकी और उसे रख सकनकी योग्यता पा ली। लेखक मुझे घबराहट दूर करनेवाली एक लेखमाला लिखनेको कहते हैं। मैं कुछ भी लिखू सिर्फ उससे घबराहट नहीं मिट सकती। मैं कह चुका हूँ कि शहरोंके लोग जो आज घबराहटके शिकार हो रहे हैं, कभी हिंसक थे ही नहीं। जब वे लोग जेलमें गये तम भी उनके दिलगे हिंसा नहीं थी। कांग्रेसको सिविल नाफ नौके लड़ाई में हमारे शहरोंने खास अच्छा हिस्सा लिया था। अब उन्हें अपनी अपनी जगहपर डटे रहकर बुजदिलोंको काल्पनिक या सही बारसे भागनेको लालबका सामना करमेको हिम्मत देनी चाहिये। यह सोचना कि भागकर कोई कराल कालको धोखादे सकेगा, मूर्खता है। हमें तो जब वह भाये, उसके सामने खड़ा रहता है और उसका स्वागत करना है। मेरे मेजवान श्री घनश्यामदास जी मुझे बताते हैं कि कुछ महीने आगे एक व्यापारी परिवार,जिसने कि नोटका सोना करवा लिया था अपना सोना लेकर रेलमंजा रहा था। रेल दुर्घटना हुई और भगभरमें साराका सारा परिवार समाप्त हो गया। सचमुच वह सोना उसके लिए मृत्युका फन्दा था। युद्ध हो याम हो, एक रोज तोहम सबको मरना ही है। मगर यह अनिवार्य घड़ी आनेसे पहले ही हम क्यों मर जायें ? हरिजन सेवक ६ जुलाई, १९४० मुझे पश्चाताप नहीं है हरएक अंग्रेजके प्रति बह निवेशम लिखकर मैंने एक और बोश अपने सिरपर ले लिया है। बिना ईश्वरकी मबदके में इसे उठाने के लायक नहीं हूँ। अगर उसकी इच्छा होगी कि मैं इसे उठा तो वह उठाने की मुझे शक्ति भी दे वेगा। मैने अपने लेखका जब अधिकतर गुजराती में ही लिखनेका निश्चय किया, तब मुझे यह पता नहीं था कि मुझे यह निवेदन लिलाना होगा। उसके लिखमेका विचार तो एकाएक ही था और उसके साथ-ही-साथ लिखनेकी हिम्मत भी आ गयी। कई अग्नेज और अमेरि- कम मिल कई बिनोसे बाह कर रहे थे कि मैं उनकी रास्ता बताऊँ। पर चमके आग्रह वश नहीं हुआ था। मुझे कुछ समता महीं था। मगर बह निवेदन लिखने के बाद अब मुझे जो उसकी प्रतिक्रिया हो रही है उसका पीछा करना ही चाहिए । अनेक लोग मुझे ३४०