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बड़े-बड़े राष्ट्रोंके लिए अहिंसा वेकोस्लोपाकियांके सम्बन्धर्म लिखे हुए मेरे हालके छेखोंपर जो आलोच्नताएँ हुई है, उसमेंसेएफ चीजका जवाब देनेकी जरूरत मालूम पड़ती है । कुछ आलोपकोंकाफहना हैकि चेकोंको मैंनेजो उपाय सुझाया वह तुछूनात्मक झुपते

के जोर है । क्योंकि, अगर वह चेकोस्लोबाकिया जैसे छोटे राष्ट्रोंके लिये है, और इंगलैण्ड, फ्रांस था अमेरिका जैसे बड़े-बड़े राष्ट्रोफे लिये लहीं, तो यदि उराफा फोई सहुत्व भी हो तो भी सण अधिक सूत्यवान नहीं है ।

लेकिन भेरं आलोचक मेरे लेखकों फिरसे पढे तो वे देखेंगे फि मेने बड़े राष्ट्रीको जो मेरी भीरुता तो है यह बात्त नहीं सुन्नाई इसका कारण उन देशोंकाबड़ा होना था दुसरे शब्दों में ही, पर इसकी एक और भी खास बजह है । बात यहू है कि नेमुसीबतर्जदा भहीँ थे और इसलिये उरहें' किसी उपायकी भी जरूरत नहीं थी।डाकटरी भाषामे” कहू तो चेफोस्लोवाकियाकी तर

रोगप्ररत नहीं थे। उनके अस्तित्वको चेकोरलोबाकियाकी तरह कोई खतरा नहीं थ।। इसलिये महान राष्ट्रोंसे में कोई बात कहता तो बहू 'भेसके आगे बीन बजाने जैसा हीमिष्फल होती ।

अनुभवसे मुझे यह भी मालूम हुआ फि स्ृगुणोंकीक्षातिर लोग संदृगुणी सुश्किलसे ही भनते है. । बहु तो अआवश्यकताबश सदृगुणी बसते हैँ। परित्पितियोंकेदबावसे भी कोई व्यक्तित

अच्छा घने तो उसमे कोई बुराई नहीं, लेकिन अच्छाईफे लिये अच्छा बनना उससे श्रेष्ठ है। चेकोंफेसाससे स्रिवा इसके कोई उपाय ही न था कि या तौ वे शांतिके साथ जर्मनीके आगे सिर झुका में था अकेले ही'लकुकर निष्च्चतरूपसे विनाशका खतरा उठाये । ऐसे अवसरपर

मुझ जैसेफे लिये थहु भाषइत्रक माझूछ हुआ कि बहु उपाध पेद्ा करे जिसने बहुत कुछ ऐसी ही परिस्थित्तियोंमें| अपनी उपयोगिता! प्िद्ध कर वी है। लेफोंसे मैने जी कुछ भिवेवन किया, भेरी रायमें' बड़े राष्ट्रोंके लिये भी बहू उतना ही भौजू है ।

हाँ, भरे भालोचक यहू पूछ सकते है" जवतक हिन्दुस्तानमे' ही में! अहिसाकी सो फी सदी सफलता करनों न बैतला हु तबतक किसी पश्चिमी शाष्ट्रेसे उराके न कहुनेंफी जो पद खुद ही अपने ऊपर लगा रफ्सी है,उसके बाहुर से क्यों गया ? और जासकर अब, जन्न कि मुझे इस आतमें' गस्भीर सतदेह होने ऊूगा हैकि काँग्रेसनल अधिताके अपने ध्येथ भा नीतिपर वस्तुत्त कायम हैया गहीं ? जब मैन यह लेख लिखा तब कॉग्रेसकी वसेसान अभिविषरल स्थिति और अपनी मर्यावाफा जरूर ध्यात थ।। लेकिन जहिंसात्मक उपायमे सेरा घिश्वास हमेशाकी तरह बुक था और मुझे ऐसा छगा कि ऐसे आड़ ववंत सै सेकीकोअहिसात्सक उपाय प्रहण करतेंकी त

तो यह मेरी कापरता हीगी। क्योंकि ऐसे करोड़ों आवशसियोंकेलिये, जो अभुशास्ततहीनहे

और अभी हाफसे' पहुलेतक उसके आदी महीं' भरे, जो बात अंतर्म' शायद असंसव साबित हो, यह

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