पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/२२

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अहिसो जिस तरहु पास्टर तीमोलरकी मुसीबत बर्दाइत करमेफे कारण दा बढ़ गयी है, उसी तरह अगर एक यहुदी भी बहादुरीके साथ उठ कर झड़ हो आय और हिब्लरफे हकक्‍्सके आगें सर झुकानेंसे इस्कार फर दे तो उसकी शान भी बढ़ जागगी

और अपगे भाई बहुवियोंके

लिए भुपितका रास्ता साफ कर देगा । मेरा यहू विदवास है कि अहिसा प्यक्षिगत गुण नहीं है,बल्फि एक सामाजिक गुण ह जिसे कि दूसरे गृणोंकी तरह विकसित करता चाहिए। इसमें कोई दाक नहीं फि समाज अपने आपसके कारोबारमों अहिसाका प्रयोग करनेसे ही ध्यवस्यित होता है। मेंजों

फहुना चाहता हूँ, वह यह है कि इसे एक बड़े राष्ट्रीय ओर अन्तर्राष्ट्रीय पैसानेपर फाममें लाया जाय। हे में स्वेद्समेन द्वारा जाहिरकी गयी इस रायसे सहमत नहीं हूँ कि हजरत ईसाकी भिसालने हमेशाके छिप्रे यह साबित कर दिया है कि जहिसा सांसारिक ब्रातोंसें नाकासयात्र साबित होती है । हालांकि भेंजातन्याँतिके वुष्टिकोणसे अपने आपको ईसाई नहीं फह सकता भगर ईसागे अपनी कुर्बानीसे जो उदाहरण कायम किया है उससे सेरी अहिसारों अश्नंड श्रद्धा जोर भी बढ़ गयी हैऔर अहिसाके इसो सिद्धान्तके अनुसार भेरे तमाम

घामिक और पसारिक काम होते है। मुझे यह भी सालूम है कि सेकड़ो ईसाई ऐसे है जिसका ऐसा ही विदधास है। अगर ईसादे हमेंअपने तमाम जीअनको विह्वव-प्रेमके सनातम सिद्धास्सके अनुसार बनानेका संदेवा नहीं दिया तो उनका जीवत और बलिवान बेकार है। हरिजन सेवक १४ जमवरी, १९३९

/मेरे अहिसा-धर्ममें खतरेके बबत अपने अजीजोंको मुसीबत छोड़कर भाग खड़े होनेके छिए जगह नहीं। मारवा या सासर्दके साथ भाग

खड़ा होता, इनमेंत्रे यदि मुझे किशी वातकों पसंद करना गड़े' तो मेरा स्सूल महता है कि गारनेका, हिसाका। रास्ता पश्चर्ध करो । ““गाधौजी

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