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अहिंसा

और हड़ताल भला विद्याथियोंने कीकिसके खिलाफ है?

श्री श्रीनिवास शास्त्री

भारतके एक सर्वश्रेष्ठ चिहान है ।शिक्षकके रूपये उतकी तभीसे स्वाति रही है,जब कि इनसेसे

बहुतेरे विद्यार्थी या तो पैदाही नहीं हुये थेया अपनी किशोरावस्थामें ही थे।उनकी महान विद्वत्ता और उनके चरित्रकी श्रेष्ठता दोनों ही ऐसी चीजें हैंजिसके कारण संसारकी कोई भी यूनिवर्सिटी उन्हें अपना वाइस-चाँसलर बनानेमें गौरवानुभव ही करेगी । काका साहबकों पश्र॒ लिखनेवालोंने अगर अन्लासलाई यूसिबर्सिटीकों घटनाओंका सही विवरण बिया हैतो मुझ लगता हैकि शास्त्रीजीदें जिस तरह परित्यितिकी सम्हाला वह बिलकुल ठीक है। गेरी रागमें विधार्थी अपने आधरणसे खुद अपनी ही हानि कर रहेँ है। मे तो उस भतको साननेयाऊा हूँजो शिक्षकोंके प्रति श्रद्धा रखनेभें विदयास करता है । यहु तो से ससभ सफता हैँकि जिस स्कूलके शिक्षकक प्रति मेरे सबसे सम्मानफा भाष न हो उससें से त जाऊँ, लेफिन अपने शिक्षकोंकी बेइज्जती या उनको अवश्ञाको मेंनहीं समझ सकता । ऐसा आचरण तो असज्जगोचित

हैँऔर असज्जनता सभी हिसाहूँ। हरिजन-सेवक ४ भार,

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क्या करें ? एक प्रिसपक्मे, जोअपना मास जाहिर नहीं करना चाहते हैं,नोने छिला महत्वपूर्ण पभर भेजा है:--*/पिम्नलिखित आवश्यक प्रशनोंका हु करतेकेलिये'क्षुब्ध सतत दूसरोंकी तक-स॑ गत सम्मति चाहँता है । ' शान्ति संघ लोम प्लेज वनियत” जिसे किरीभी परिस्थितिर्में हिसाका आश्रय लेते

से इंकार करके युत्वका विरोध करतेक किये स्वर्गीय डिफ शेफ४ईने कायम विया था कि प्रतिशा« का पालन करवा क्या हमारे संसारकी मौजूदा हाकतमें ठीक और व्यवहारिक तरीका है ?”

(हां! के पक्षमें नीचें लिखी इलीलें हैँ--(१) संत्तारके सहान्‌ क्ाध्यात्मिक शिक्षकोंने अपने आचरण द्वारा हमें यह शिक्षा ही हैकि किसी बुराईकां जगत फेवल अच्छे उपायोंसे ही हो सकता है, भुरे उपायोसे हृणिज नहीं, और किसी भी तरहकी हिसा (ज्रातकर युद्धफी, चाहे वहु एकसान्र तथाकथित जात्मरक्षणके लिये

ही क्यों त्‌ हो) नि/पसख्बेहु बुरा उपाय ही हैं; फिर उसका उद्दैधय चाहे कुछ भो ही । इसलिये हिसाका प्रयोग तो सदा ही गरत है

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