पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अहिंसा

लाजिमी सैनिक भर्तीवाले किसीभी वेशमे, यहांतक कि खतरेकी संभावनावाले श्रेंटब्िटेससे भी, नौजवानोंके लिये इस प्रइनका हल होना बहुत जरूरी है। लेक्तिस दक्षिण अफ्रीका, सिद्र या आस्ट्रेलिया जैसे देशोंमें, जिन्हें श्ञायद चढ़ाईकी संभावनाफा शुकाबला करना पड़े,

और हिल्दुस्तानमभें, जिससे पूर्ण स्वाधीनता'के समय शायद जापान शा सुस्छिस देक्षोंकी शुट्टफी चढ़ाईकी संभाषना रहे, यह अभी अमरूमें उतना महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसी संभावनाओं (बल्कि कहना चाहिये कि हकीकतों) के सामने क्या हरएक तीजरबूद्धि रखनेबालेको (फिए वह चाहे जवान हो गा दे डरा)कया इस बातका शिष्य ने होना चाहिये कि उसके करनेके लिये कौन-सा तरीका सही ओर व्यवहारिक है ? यह एक ऐसी समस्या है जिसका फिक्षी-त-किसी रूपसें था (अगर रोज नहीं तो किसी ने दिसी छिन) हममें हरएकफों खुद साभना करता पड़ेग।। क्‍या आपके घाचफ इस सब बातोंकों स्पष्ट करनेमें सहाय हो सकते हैं ? जिसमें इस बातका निव्यय न हो कि समय आनेपर 3+हैं इसफा क्या जबाब बेया चाहिये,

जे एसपर विधार फरकोे हरा बरिभें मिद्चय कर सकते हे) हाँ, जिन्हें अपने जवाबफा निश्चम

ही उन्हें मंहुरबानी करके दृश्तरोको भी जैसा ही मिश्चित बनायेंगे मदद करनी शाप्षिये । शास्तिकी प्रतिशा लेनेबाणेके प्रतिरोधफे पक्षमें यो दलीले दी गयी हैं उनके बारेगे तो कुछ

भी कहुनेकी जरूरत गहीं है। हाँ,प्रतिरोधके विश्द्ध जो बलीलें दी गयी है उगकी साबधानीफे साथ छान-बीन करनेकी जरूरत है । इनसेसे अगर पहली दलील सही हो तो बह युद्ध विशेधी आन्योछनकी ठेठ जड़पर ही कुठराधात करती है । इसका आधार इस कल्पना पर है कि

फासिस्टों और वाज़ियोंका हुव॒य पलटना संभव है। उन्हीं जातियोंमें थे पैशा हुये है.जिनमें कि तथाकथित प्रजात॑त्रवादियों, या कहना चाहिये खुप युद्ध-विरोधियोंका जर्म हुआ है। अपने

फुरूम्वियोंम वे बैसे ही मुठुता, यैसे ही प्रेस, समझदारी व उवारतासे पेश आते हैंजैसे युद्धविरोधी इस दायरके बाहुर भी शायद पेच् आते हों । अच्तर सिफ़े परिमाणफा है। फासिस्थ ओर नाजी तथाकथित प्रजात॑त्रोंके दुर्गुणोंके कारण ही न गेवा हुये हों तोनिएचय ही थे उनके घंशीधित संस्करण हैं। किराँ पेजने पिछले

युद्धसे हुयेसंहाश्पर लिखी हुई अपनी पुस्सिकार्मे बताया हूँकि दोनों ही पक्षयाले झूठ और अतिपायोवितफ अपराधी थे। तश्साईफी सस्धि विजयी राष्डों द्वारा जमेनीसे घदला सेनेके लिये की गधी सस्धि थी। तथाकथित प्रजातंत्नोंने अबसे पहुले इृसरोफी जमोनोंकों जघरदस्ती अपने

कबजेंभ किया हैऔर मिर्दय दसनको अपनाया है। ऐसी हालतमें अपने पूर्वजोंने लथाकथित पिछड़ी हुई जातिमोंका अपने भौतिक लाभके खिये शोषण करनेमें जिस अवैज्ञानिक हिसाकी वृद्धिकी थी, मेंसर्स हिटलर ऐश्ड कम्पनीने उसे वैज्ञालिक रूप वे दिया तो उसमें आपसर्यकी बात ही क्‍या है ? इसलिये अगर महु मान लिया जाय, जैत्ता कि भाना जाता है,कि ये तथाकथित प्रजातंत्रवादी

अधहिसाका एवं हुइ तक पालल करतेसे पिधक जाते हैतो फासिस्टों और नाजियोंशे पाषाण हृदय पिधलानेके लिये क्िंतनी भहिसाकी जरूरत होगी, मह अराशिकसे मालूस किया जा सकता हूँ । पहली बल्ील तो निबाम्भी है, और इसमें कुछ तथ्य माना भी जाये तो भी उसे ध्यानते बाहुर सिकाल' वैसा होगा।

भर