पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/७२

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अहिंसा इस विधारको रखते हुये कि किसी न किसी तरह भारत सच्ची अिसा सीक्ष लेगा , मुझे

यहु नहीं हुआ फि निःश्ञत्र रक्षाके लिये अपगे सहकर्मियोंते ऐसी शिक्षा लेगेफो कहूँ । इसके जिपरीत, मेंतो तलपारकी सारी कछाको और मजबूत लाठियोंके प्रदशनको अनुत्ताहित ही करता रहा और गतके लिये मुझे आए भी पश्चाताप नहीं है। मेरी आज भी वही ज्वलंत अरद्धा हैकि संततारके समस्त इंशोगे भारत ही एक ऐसा देश हैयो अद्ियाकी कला सोश सफता है, और अव भी बह इस कसोदीपर कप्ता जाय, तो संभवतः ऐ से हजारों स्त्री-पुरुष सिलछ जायेंगे, जो अपने उत्पीड़कोंके

प्रति बगैर कोई हेष शाव रदसे जुशीसे गरनेके लिए तैयार हो जायेँगे। घैंने हजारोंकी उप्रिषतिररें बार-बार जोर देकर कहा है फि बहुत संभव हैकि उन्हें ज्यादा ते ज्यादा तकालीफें झेलनी पर । यहां तक कि गोलियोंकाभी शिकार होना पड़े। नमफ-संप्याग्रहके विनोंसें कया हुजारों पुरुषों

और स्थियोंने किसी भी सेवाके सैनिकोंके ही सलाम बहादुरीके शाथ पर तरहकी सुसीयतें नहीं शेली थीं ?हिल्दुस्तामभें जोसैनिक थोग्यता अधट्सातसक लड़ाईगें लोग दिखा चुके हैंउससे भिन्न प्रकारती योग्यता किसी भी आकसणफारीसे ठड़नेके खिलाफ आवश्यया गहीं है--शिरफ् उराका

प्रयोग एक बहतर पैभानेपर करना होगा। एक चीज भहीं भूलनी चाहिमे। दिःशस्त्र भारतके लिए यह जरूरी नहीं कि उसे जहू-

रीली गँसों या बमोंसे ध्वस्त होगा पड़े । भेगनट राइनने सिप्रफेशकों जहरी बया दिया है। भोजूदा परिस्थितियों हिखुस्तानकी रक्षा इसछिए जरूरी हो गयी हूँ किवहु आज बिटेनका एक अंग है। स्वतंत्र भारतका कोई शत्रु नहीं हो सकता। यदिं भारतवासी वृढ़तापूर्वक सिर न

झुकानेफी कला सीख लेंऔर' उसपर पुरा असल करने लगें, तो मेंयह कहुनेशी जुरंत करूँगा कि हिन्दुस्तासपर कोई आक्रमण नहीं करना चाहेगा। हमारी अर्थनीति इस प्रकारकी होगी फि शोषकोंके लिए प्रलोभवकी कोई पस्सु नहीं होगी। लेकिन कुछ कॉरग्रेसअर्न कहेंगे क्रि“ब्रिटिशकी बातकों दरकिनार कर दिया जाय, ततभी हिन्दुस्तानमें उसके सीमात्तोंपर

बहुत सी सैनिक जातियां रहती है। वे मुल्ककी रक्षाके लिए, जो उनका भी उतना ही है जितगा कि हमारा युद्ध करेंगी ।”

भहुं बिल्कूल सत्य है इसलिए इस क्षण भें केवल काँग्रेलजनोंकी ब्रात फर रहा हूँ। आकरमणकी हाउतमें वे क्या करेंगे? जबसक कि हम अपने रिद्धान्तपर भर मिव्लेके लिए लैपार न हो जायेंगे, हम सारे हिष्दुस्तानकों अपने भतका नहीं बना सकेंगे। मुझे तो विरुद्ध रास्ता अपील करता है । तेनामें पहलेसे ही उत्तर हिलुस्तानके भुसलभानों, सिक्खों और गोरखौंकी बहुत्त बड़ी संख्या हूँ । अगर दक्षिण और भध्यभारतके जनसाधारण काँग्रेसेका सैनिकीकरण कर देता चाहते है, ज्ञो उनका प्रतिनिधित्व ऋरती

हैं;तो उस्हेँउनकी (सु्तमात, सिख बगेरहूकी)प्रतिश्पर्धामें भावा पड़ेगा। कॉम्रेलसको तब सेनाका एक भारी बंजए बवानेंसे भागीदार धतचना पड़ेगा। पहुं सब ब्री्जे फॉग्रेसकी सहुमति फिये

बगेर सम्भवतः हो जाँय। सारे संसारस तब यह चर्चाका विषय घन जागगा कि काँग्रेस ऐसी हु

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