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अहिंता समझौतेका तो आधार ही लेस-देनकी बृत्तिपर होता है, मगर बुनियादी घातोंपर सम-

झौता करना आत्म-समर्पंण होता हैं,क्योंकि इसमें देना-हो-देना होता है,छेनेको कुछ नहीं होता। समझौतेका समय उसी वक्‍त आ सकता हे जबबुनियादी मामलोंपर दोनों एकमत हों, अर्थात्‌

ब्रिटिद सरकार यह निद्चय कर लेगी कवि जिस विधानके अनुसार हि्दुस्तामम्म शासन होगा उस बविधानको अंग्रेज नहीं हिन्दुस्तानी बनायें। थे विधानके मामलेको घुने हुए भारतीय प्रतिनिधियोंकी पंचायतके सुपुर्द करनेक्ो राजी नहीं हो रहेहे, यह एक खतरनाक घूँढ हूँ। कम तावादवालोंको जरा भी' डइरनेकी जरूरत नहीं, क्योंकि उनके लिए जिम संरक्षणोंकी आवधयकता होगी उनका निर्णय उन्हींके अपने प्रतिनिधि करेंगे। राजाओंकों भी डरनेकी जरूरत

नहीं, क्योंकि वे न चाहें तो शामिल न हों। जो पक्ष सफल बाधा डाल सकता हैंऔर डाल रहा है वह अकेला प्रबल पक्ष या शासक पक्ष ही है। यह पक्ष जबतक इस नतीजेपर न पहुँच जाय कि यह राज नहीं कर सकता या नहीं करता चाहता तबतक कोई समझोता से होगा।

हरिजन-सेवक

३० मानें, १९४०

चर्खा-खराज-अहिसा एक सज्जन लिखते हैंकि अब जब कि सविनय अवशा-भंगका वातावरण बस रहा हूँ, पुनरावुत्तिकी परवा न करके भी, सुझे एक ही लेखके अन्दर अपनी इस दछीलका सार दे देना आवदयक हैकि चर्सा, स्वराज और अहिसामें क्या ध्यापक सम्बन्ध है। मे बड़ी सुशीके साथ उनकी बात भान्कर यह प्रमत्व करता हूँ।

चर्ता मेरे छिए तो जनसाधारणकी आज्ञाओंका प्रतिनिधित्व करता है। जनताधारणकी

स्वतंत्रता, जैसी भी वह थी, धर्सेके खात्मेके साथ ही खत्म हुई। चर्ला पग्रासवासियोंके लिए खेतीका पुरक धंधा था, और खेतीकी इससे प्रतिष्दा! थी। विधवाओंका यहू बन्धु और सहारा थां। प्रामधासियोंकों बह काहिफ़ोसे भीबचाताथा,क्योंकि इसमेंफपाससे यई थेबिसौलों को अलग-अछूग करता, रईकौ धुनाईं। कताई, मेंडाई, रंगाई, बुनाई आदि अगले“पिछले सभी उद्योग शामिल थे। गाँवके बढ़ई और लोहार भी इसके कारण काममें लगें रहते थे। चर्षेसे सत्र

करोड़ गाँव आत्म-निर्भर बने हुए थे। चर्लेके जानेते घानीसे तेल निकालने जैसे अन्य प्रामीण

उद्योग भी नष्ट हो गये । इन उद्योगोंका स्थान किस्हीं नभे उद्योगोने नहीं लिया, इसलिए भाँवयाले

क्षपने विध्रिध धंधोंसे वंचित हो गये और अपनी उत्पादक बुद्धि तथा जो थोड़ी-बहुत सम्पत्ति उन धंध्ोंसे सिद्ल सकती थी उसको भी जो बंठे।

इूसरे जिन देक्षोंमें दस्तकारियोंका साश हुंलः हैउतकी उपभासे हारा कास सही चलेगा,

क्योंकि अहाँप्रामन्नासियोंकी उसकी क्षुलिपुति करनेवाली कुछ सहूलियतें तो सिक्त गयी हैंजबकि ३०९