पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/९

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थी | और जगतका इधर इतने दिनोंका इतिहास बा रहा है कि महांत्गा गांधीका अह्िंसाका सिद्धांत ही व्यायद्वारिक और उपादेय है। यदि सारी संस्कृतिको नष्ट होनेसे बचाना है तो महात्माजोकी अहिंसाकी भावनाका ही जगतमें प्रचार करना उचित होगा । महात्माजीके जीवनमें ही इस जड़वादके युगमें अहिंसाकी ओर

लछोगका कम ध्यान था। छोग उसे केबछ दार्शनिक सद्भान्त समझ रहे थे यद्यपि गहात्माजीमे सफलतापूबक अपने जीवनके ग्रत्येक क्षेत्रगें इसका उपयोग दिया । आज उनके गत हो जानेपर तो हम छोग अहिसाको प्रायः भूल. गये हैं और हृगारी सारी विपत्तियों तथा कठिनाइयोंकी गुलगें यहं। छू | इसकिय इस समय श्स घातझ्ली अधिक अपेक्षा हैकि हग अहिसाएे सिद्धांपोंका ४व्ययन

करें, सथन करें, प्रचार फरें। हमें पूर्ण आशा है; कि गाँभीजं अंथ भाछाके थे

खंड देश तथा संसारके फद्याणमें सहायक होंगे।