पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/१०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

दसवाँ अध्याय ।

स्वरूप-वर्णन तथा दिनचर्या ।

अहिल्याबाई उँचाई में मध्यम श्रेणी की और देह में साधारण अर्थात् न बहुत दुबली और न अधिक स्थूल शरीर की ही थी । उनका रंग साँवला और केश अधिक श्याम वर्ण के थे और उनके मुख पर एक प्रकार की ऐसी तेजस्विनी प्रभा चिरा जती थी कि जिसके कारण वाई की ओर एक दृष्टि से देखना कठिन था । देखने में तो वे अधिक सुन्दरी न धी, परंतु अधिक तेजस्विनी होने के कारण उनका प्रभाव प्रत्येक मनुष्य पर पड़ता था और यह तेजस्वीपन वाई के अंत समय तक एकसा बना रहा ।

इनका पहनावा उत्तम, सादा और सफेद कपड़ा होता था, विधवा होने के समय से इन्होंने रंगीन वस्त्रों का पहनना सदा के लिये छोड़ दिया था और आभूषणों में केवल एक माला के अतिरिक्त और कुछ नहीं पहनती थी । यद्यपि मरहठों के यहाँ मद्य मांस का उपभोग करना निषिद्ध नहीं है, तथापि बाई ने इस प्रकार का भोजन सदा के लिये वर्जित कर दिया । इनके भोजन में अधिकतर सात्विक पदार्थ के व्यंजन विशेष रूप में हुआ करते थे । राजसी या तामसी विचार उत्पन्न करनवाले पदार्थों की ओर बाई की रुचि कम रहा करती थी । वे झूठ बोलने से शीघ्र ही असंतुष्ट हो जाती थीं । यदि कोई