पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/११७

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पौत्रादिक करून तुम्हांस पूजतिल मिती जेष्ठ वद्य संवत् १७९८ सूरसन इहिदे अरबेन मया व अलफ हे विनंती ।

मोहर ।

श्रीम्हालसाकांत चरणीतत्पर

खंडोजी सुत मल्हारजी होलकर

रावराजे श्रीमालराय होलकर कैलासवासी वड़ील लेखोनदिले आहे ते मान्य असो मिती श्रावण शुद्ध १ संवत् १८२२ शके १६८८ व्ययं नाम संवत्सरे ।

मोहर ।

वृंदावन में बाई ने एक अन्नसत्र और एक लाल पत्थर की बावड़ी बनवाई है जिसमें ५७ सीढ़ियाँ बनी हुई हैं ।

आलमपूर---यह स्थान मध्यभारत में ग्वालियर राज्य की सीमा के अंतर्गत उत्तर और पश्चिम के कोण में सोनभद्र नदी के तट पर बसा हुआ है । अपने देवतुल्य श्वसुर मल्हारराव होलकर के स्मरणार्थ अहिल्याबाई ने इस स्थान पर एक उत्तम और मनोहर पूर्व मुख की छत्री और छत्री के समक्ष खंडेराव मारतंड का एक देवालय स्थापित किया था । और जिस स्थान पर मल्हारराव का देहांत हुआ था वहाँ पर हरिहरेश्वर का एक मंदिर निर्माण कराया था । छत्री और मन्दिरों की उत्तम व्यवस्था और सांगोपांग पूजन अर्चन आज दिन पर्यन्त व्यवस्थित रूप से होता चला आ रहा है । यहाँ पर हाथी, घोड़े, सवार, कुछ हथियारबंद सैनिकों और ११ तोप के तोपखाने की व्यवस्था है; और