अहिल्याबाई के जीवन का वृत्तांत किस परिश्रम से प्राप्त हुआ है और उसके प्राप्त करने के लिये किन किन सज्जनों ने कष्ट उठाया है, यह बात जानने योग्य है । इतिहासों में तो केवल अहल्याबाई का नाम मात्र ही सुनाई देता है परंतु किसी भी सज्जन ने उनका पूरा पूरा वृत्तांत नहीं लिखा है और जिन्होंने कुछ लिखा भी है वह बहुत ही अपूर्ण है, तथापि हम सर जान मालकम के बहुत ही अनुगृहीत हैं कि जिन्होंने इस अमूल्य रत्न का प्रकाश जहां तक उनसे बना किया है । आप ने अपनी पुस्तक A memoir of Central India' में थोड़ा वर्णन किया है । इसके पूर्व आपने अहिल्याबाई के राज्य शासन और उनकी धर्मपरायणता का हाल मामूली तौर पर सुना था परंतु वह विश्वसनीय है या नहीं, इस बात का निश्चय न होने से उस पर कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया था । कुछ काल व्यतीत होने पर जब आप मध्य हिंदुस्तान में आए तब आपने पुन: इस बात की खोज करना आरंभ किया और जब आपको अहिल्याबाई के संबंध में अधिक अधिक हाल मिलता गया तब आप बहुत ही चकित और मुग्ध हुए और बड़े उत्साह से आपने उन मनुष्यों की खोज करना प्रारंभ किया, जो कि अहिल्याबाई के राज्यशासन काल में विद्यमान
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