पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/८

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श्री:

पहला अध्याय ।

मल्हारराव होलकर।

चाहे सुमेर को छार करे, अरु छार को चाहे सुमेर बनावे।
चाहे तो रंक राउ करे, अरुराउको द्वारहि द्वार फिरावे।।
रीति यही करुणानिधि की, कवि देव कहे विनती मोंहि भावे।
चीटी के पाँव में बाँधिगयंद है, चाहे समुद्र के पार लगावे।।


महाराष्ट्र देश भारत के दक्षिण भाग में है। इसके उत्तर की ओर नर्मदा नदी, दक्षिण में पुर्तगीजो का देश, पूर्व में तुंगभद्रा नदी और पश्चिम में अरब की खाड़ी है। इस देश के रहने वाले महाराष्ट्र अथवा मरहठे कहलाते हैं।[१]

  1. महाराष्ट्र देश के निवासियों का नाम मरहठे इस कारण पड़ा कि जब जब इस देश के वासी लदाई में जा कर अपती शूरता और वीरता के परिचय तलवार के साथ देते थे, तब तब वे दुश्मन के सेना के दांत खट्टे कर दिया करते थे, और उनको रणक्षेत्र से मार कर हटा देते थे या स्वय ही रणक्षेत्र में लड़ते लडते मरकर हटते थे।