जिस समय औरंगजेब बादशाह सारे भारतवर्ष में हिंदू राज्यों का नाश करने में लगा हुआ था, उस समय इसी महाराष्ट्र कुल के एकमात्र वीरशिरोमणि जगतप्रख्यात महाराज शिवाजी ने सारे भारत में एक नवीन हिंदू राज्य स्थापित किया था। इनके साथ ही महाराष्ट्र देश में और भी अनेक वीर हुए थे और वे वार भी शिवाजी की नाई अति सामान्य वश में जन्म लेकर अपने अपने उद्योग और वाहुबल से एक एक राज्य और राजवंश की प्रतिष्ठा कर गए हैं। इन अनेक वंशों में से आज दिन तक भारतवर्ष में कई राज्य वर्तमान हैं। इनही वीर पुरुषं में एक साहसी बहादुर और योद्धा मल्हारराव होलकर भी हुए हैं और “श्रीमती महारानी देवी हिल्याई” इन्हीं मल्हारराव होलकर की पुत्रवधू थी।
हम अपने पाठकों को यहाँ पर मल्हारराव का थोड़ा सा परिचय आवश्यक जानकर देते हैं। वैसे तो इनका हाल पुस्तक भर में जगह जगह पर प्रसंग के अनुसार आया ही है, परंतु इनकी बाल्यावस्था का हाल जब तक कि विशेष रूप से न लिखा जाय नहीं मालूम होगा।
पहले पहल मल्हारराव के पूर्वज दक्षिण के वाफ नामक एक गाँव में बसते थे, पश्चात् पूना से लगभग २० कोस के अंतर पर "होल" नामक गाँव में आकर निवास करने लगे। ये जाति के महाराष्ट्र क्षत्रिय होकर धनगर अर्थात् गड़रिये का धंधा करते थे। मल्हारराव के पिता का नाम खंडोजी होलकर था। आप इस गांव में बड़े प्रतिष्ठि और धनवान समझे जाते थे। मराठी भाषा में “कर" शब्द का अर्थ "अधि-