पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/५४

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बंगाल की गवर्नरी का पद सँभाला, उस समय वहाँ खजाने में एक पाई भी रकम नहीं थी।

अब तक हेस्टिग्स अत्याचार और असत्य से दूर थे, परन्तु इस कुर्सी पर बैठते ही उनमें राजसत्ता का मद भर गया। उनके सद्गुण उनसे दूर होने लगे। इस समय तक मिसेज इमहाफ की अपने पूर्व पति के तलाक की अर्जी मंजूर हो गई थी। अब वह पूर्ण रूप से मिसेज हेस्टिंग्स कहलाने की पूर्ण अधिकारी बन चुकी थी। अब इमहाफ को साथ रखने की जरूरत नहीं रही थी। कलकत्ता आकर कुछ मास बाद उन्हें पृथक् कर दिया गया।

इंगलैंड से हेस्टिग्स को आदेश प्राप्त हुआ कि कम्पनी के जिन कर्मचारियों के कारण हानि उठानी पड़ी है, उन्हें कठोरता से दण्ड दिया जाय। व्यापार और शासन सुव्यवस्थित किया जाएँ। उस समय बंगाल में कम्पनी के कर्मचारियों की सत्ता चल रही थी, परन्तु वे पूर्णतः अपने को बंगाल का शासक नहीं मानते थे। दिल्ली के मुगल बादशाह ने अंग्रेजों को बंगाल की मालगुजारी मात्र वसूल करने का अधिकार दिया था। उनकी मोहरों और सिक्कों पर शाही अलकाब खुदे रहते थे। बंगाल के नवाब मुर्शिदाबाद में रहते थे। परन्तु क्लाइव ने मुर्शिदाबाद के नवाबों को धूल में मिलाकर बंगाल में अंग्रेजों के राज्य का बीजारोपण कर दिया था। उस समय बंगाल और बिहार की शासन-व्यवस्था नायब सूबेदार करते थे। बंगाल के नायब मोहम्मद रजाखाँ, और बिहार के सिताबराय थे। दोनों ही सूबेदार मुर्शिदाबाद के नवाब के अधीन होते थे।

हेस्टिग्स ने दोनों नायब सूबेदारों पर रिश्वत लेने और अत्याचार करने के आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया और आरोपों की जाँच होने तक कलकत्ता लाकर कैद में रखा। उनके आरोपों की जाँच हेस्टिग्स ने स्वयं अपने हाथों में ली।

जाँच में सिताबराय निर्दोष पाये गए। उन्हें प्रतिष्ठा और इनाम देकर छोड़ दिया गया। उन्हें खिलअत, कुछ जवाहरात, और एक सुसज्जित हाथी देकर पुन: नायब पद दिया गया। वे पटना लौट आए, परन्तु उन्हें अपनी गिरफ्तारी का बहुत मानसिक दुख हुआ, उसी परिताप में कुछ दिन रुग्ण रहकर उनकी मृत्यु हो गई।

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