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पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/५३

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हो, आत्मघात किया।

घोर दुर्भिक्ष समुपस्थित था। सूखे नर-कंकालों से मार्ग भरे पड़े थे। सहस्रों नर-नारी मर-मरकर मार्ग में गिर रहे थे। भगवती गंगा अपने तीव्र प्रवाह में भूखे मुर्दो को गंगासागर की ओर बहाये लिए जा रही थी। अपने अधमरे बच्चों को छाती से लगाये, सैकड़ों स्त्रियाँ अधमरी अवस्था में गंगा के किनारे सिसक रही थीं। पापी प्राण नहीं निकलते थे। कभी-कभी डोम अन्य मुर्दो के साथ उन्हें भी टाँग पकड़कर गंगा में फेंक रहे थे। जहाँ-तहाँ आदमियों का समूह हिताहित शून्य हो, वृक्षों के पत्तों को खा रहा था। गंगा-किनारे वृक्षों में पत्ते नहीं रहे थे।

कलकत्ता नगर के भीतर रमणियाँ एक मुट्ठी नाज के लिये अपनी गोद के प्यारे बच्चों को बेचने के लिए इधर-उधर घूम रही थीं।


छ:

इस दुर्भिक्ष में बंगाल की एक-तिहाई प्रजा मर गई; जिनमें गरीब किसान ही अधिक थे। किसानों के अभाव में खेत खाली पड़े रहते, कोई खेती करने वाला न था। अगले वर्ष जब मालगुजारी वसूल करने का समय आया तो न फसल थी, न किसान। इस अवस्था में कम्पनी को फूटी कौड़ी भी लगान वसूल नहीं हुआ। कम्पनी के व्यापार में भी ह्रास हुआ था। इंगलैंड में जब बंगाल के इस भयानक दुर्भिक्ष, और वहाँ के व्यापार में भारी ह्रास की बात पहुंची तो तहलका मच गया। कम्पनी के कर्मचारियों में अत्याचारों का भी पता चला। तब इन सबकी जाँच के लिए एक कमेटी बनाई गई, जिसमें कलकत्ते के गवर्नर और कौंसिल के सदस्यों के कुकर्मों का भण्डाफोड़ हुआ। क्लाइव को भी दोषी पाया गया। अतः निश्चय हुआ कि कलकत्ते के गवर्नर को हटाकर अन्य योग्य और ईमानदार व्यक्ति को वहां का गवर्नर बनाया जाय। कम्पनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ने हेस्टिग्स को इस पद के योग्य समझकर उसे ही बंगाल का गवर्नर बनाया। अतः हेस्टिंग्स २ फरवरी, १७७२ को मद्रास से कलकत्ते के लिए चले। १३ अप्रैल, १७७२ को जब उन्होंने

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