पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/८९

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अन्त करने पर तुल गए। राज्यक्रान्ति हुई। खून बहाया जाने लगा और राज्य-सत्ता राज्यवंश से निकलकर राजनैतिक दलों के हाथों में आती-जाती रही। प्रजा के पास खाने को अन्न और पहनने को वस्त्र नहीं बचे थे। चारों ओर अराजकता और खून-खराबी का बोल-बाला था।

मेरी आत्वानेव का शैशव अपनी गरिमामयी माता मेरी थेरेसा की गोद में आमोद-प्रमोद में व्यतीत हुआ था। छोटी अवस्था में ही उसका विवाह फ्रांस के राजकुमार लुई १६वें से हो गया था। विवाह के पांच वर्ष बाद आत्वानेव को साम्राज्ञी पद प्राप्त हुआ। वह राजसत्ता में दृढ़ आस्था रखती थी, परन्तु फ्रांस की राजनीति क्रान्ति की ओर अग्रसर हो रही थी, और राजसत्ता संकटमय स्थिति में थी। उसका पति साहसी नहीं था। आत्वानेव ने अपने पति को अपने आदेशानुसार चलाना चाहा। वह नहीं चाहती थी कि सम्राट् के अधिकारों में किसी प्रकार का नियंत्रण हो। आत्वानेव के विचार फ्रांस की प्रजा का रोष उभारने में और भी सहायक बने।

फ्रांस की आर्थिक स्थिति बहुत दुर्दशा-ग्रस्त थी। सम्राट ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तूर्गों के हाथ में स्थिति सुधार का कार्य सौंपा था परन्तु सामाग्री के हस्तक्षेप के कारण तूर्गो अधिक समय तक अर्थसचिव के पद पर न रह सका। आत्वानेव ने सम्राट् से कहा कि तुम्हारा कार्य फ्रांस-निवासियों से न हो सकेगा-तुम्हें अन्य राष्ट्रों से सहायता लेनी चाहिए।

लुई वार्सेल्स नगर में रहकर वहीं से राजकार्य की देख-रेख करता था। उसके कार्यों से पेरिस की जनता में असन्तोष पैदा हो रहा था और उपद्रव के लक्षण दीखने लगे थे। कुछ काल में राज्य-क्रान्ति आरम्भ हो गई उन्हीं दिनों पेरिस को भीषण दुर्भिक्ष का सामना करना पड़ा। क्रान्तिकारी विचारों के कारण पेरिस की जनता में जाग्रति हो चुकी थी। उन्हें यह असह्य हो गया कि राजा और रानी तो आनन्द से जीवन बितायें और प्रजा भूखों मरे। भूखे जन-समूह ने वार्सेल्स के राजभवन को घेर लिया। विवश होकर राजा और रानी को पेरिस आना पड़ा। वहाँ वे राजभवन में रहने लगे, परन्तु उनके कार्यों पर दृष्टि रखी जाने लगी। राजा तो किसी प्रकार उस स्थिति में रहने को प्रस्तुत था, परन्तु स्वतन्त्रता का अपहरण हो जाने से

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