पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/३३

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उपद्रवों से रक्षा होती है। तक मेरी समझ में आया कि ऐसे सुंदर, गगनस्पर्शी, विशाल मंदिर की शोभा के लिए ये मूर्तियां ढिठौना है। ढिठौने से बालक की सुंदरता घटने के बदले जैसे बढ़ती है वैसे ही इन मूर्तियों को देखकर मन का भाव बिगड़ने के स्थान में सुधारना चाहिए मथुरा में यमुना पार एक शिवमूर्ति के दर्शन करके मनुष्य कोई जैसे शिक्षा मिलती है वैसे ही किसी प्रकार की शिक्षा इन मूर्तियों को देखकर ग्रहन करना चाहिए।"

"हैं पूरा की कैसी मूर्ति? मैंने दर्शन नहीं किए।"

"उस समय गौडबोले साथ से इसलिए मैंने तुम्हें मंदिर के बाहर है हरा दिया था। उस शंकर मूर्ति के एक हाथ मैं जिहाद है और दूसरे में......। उस प्रतिमा से यह शिक्षा मिलती है कि दो इंद्रिया ही मनुष्य को धर्म से गिरा देने वाली है इसलिए जो भवसागर पार उतरना चाहे यह इन पर काबू रखें और इस तरह काबू रखें। इन मूर्तियों से उपदेश मिलता है कि भगवान के मंदिर में आकर भी जिस नर नारी के मन में इस प्रकार के काम विकार उत्पन्न होंगे उनकी कहीं गति नहीं है । वे यहां आए हैं स्वर्ग प्राप्ति के लिए किंतु उनके लिए कुंभीपाक तैयार है। कबर खाबड़ भूमि पर चलनेवाला मनुष्य प्रमादवास तो कल जब ठोकर खाने की भूल करता है तभी अनुभवी षिटृ जनों के मुख से अनायास"खबरदार!संभलकर!!"निकल जाता है, वैसे ही ये प्रति