२०-भारत में कृषिसुधार
ले° प्रो° दयाशंकर एम° ए°
प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने बड़ी खोज के साथ दिखलाया है कि भारत की गरीबी का क्या कारण है, कृषिका अधःपतन क्यों हुआ है, जिसके फलस्वरूप भारत परतन्त्रता की श्रृंखला में जकड़ गया। अन्य देशों की तुलना में यहां की पैदावार की क्या अवस्था है और उसमें किस तरह सुधार किया जा सकता है। सरकार का क्या धर्म है और वह उसका किस तरह प्रतिपालन कर रही है, किस प्रकार प्रजाकी उन्नति के मार्ग में काटे बिछाये जा रहे हैं इत्यादि बातों का दिग्दर्शन लेखक ने बड़ी मार्मिक भाषा में दृढ़तर प्रमाणों के साथ किया है। पुस्तक अपने ढंगकी निराली है और बड़ी ही उपादेय है। २५० पृष्ठ की सचित्र पुस्तक का मूल्य १।।।)
२१-देशभक्त मैजिनी के लेख
'भूमिका ले° दैनिक "आज" के सम्पादक
बाबू श्रीप्रकाश बी° ए° एल° एल° बी° बेरिस्टर-ऐट-ला
इटली का इतिहास पढ़ने वालों को भली भांति विदित है कि १८बी सदीमें इटली की क्या दशा थी। परराजतन्त्र के दमनचक्र में पड़कर इटली सारे यातनायें भोग रहा था। न कोई स्वतन्त्रापूर्वक लिख सकता था और न बोल सकता था। कहने का मतलब यह है कि भारत की वर्तमान दशा इटली की उस समय की दशा से ठीक मिलती-जुलती है। इटली- एकदम निर्जीव हो गया था। ऐसी ही दशा देशभक्त मेजिनी ने अपनाे खोकर शंखनाद किया और नवयुवकों को चेतावनी दी कि उठो, आलस को त्यागो, माता वसुन्धरा वलिदान चाहती है। प्रत्येक नवयुवक के शरीर में स्वतन्त्रता प्राप्त करने की ज्योति जग उठी। ग्रन्थ के अन्त में संक्षेप में मजिनी का जीवन चरित्र भी दिया गया है। अनुवादक पण्डित छविनाथ पाण्डेय बी° ए°, एल° एल° बी°। पृष्ठसंख्या २६० मूल्य केवल २)