पृष्ठ:आनन्द मठ.djvu/२०७

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३०-चीर केशरी शिवाजी
ले° पं° नन्दकुमारदेव शर्मा

महाराज क्षत्रपति शिवाजी का नाम किसी से छिपा नहीं है। हिन्दू-धर्मपर विधर्मियोंद्वारा होते हुए अत्याचार से बचानेवाले, गो-ब्राह्मण-भक्त, सच्चे धर्मवीर, कर्मवीर, राष्ट्रवीर 'वीर-केशरी शिवाजी' की इतनी बड़ी जीवनी अभीतक नहीं निकली थी। अंग्रेजी इतिहास-लेखकों ने शिवाजी के सम्बन्ध में अनेकों बाने बिना किसी प्रमाण के आधार पर मनमानी लिख डाली है। उन सबका समाधान एतिहासिक प्रमाणोंद्वारा लेखक ने बड़ी खूबी के साथ किया है। औरंगजेब की कुटिल चालों को शिवाजी ने किस प्रकार शह देकर मात किया, दगाबाज अफजलखाँ की दगाबाजी का किस प्रकार अन्त किया, हिन्दुओं के हिन्दुत्व को कैसे रक्षा की, किस प्रकार मराठा-राज्य स्थापित किया, इन सब विषयों का बड़ी सरल और ओजस्विनी भाषा में वर्णन किया है। लगभग ७५० पृष्ठ की पुस्तक का मूल्य खद्दरकी जिल्द सहित ४) रेशमी सुनहली जिल्द सहित ४।)

३१-भारतीय वीरता
ले° श्रीयुक्त रजनीकान्त गुप्त

कौन ऐसा मनुष्य होगा जो अपने पूर्वजो की कीर्ति-कथा न जानना चाहता हो। महाराणा प्रतापसिंह के प्रताप, वीर-केशरी शिवाजी की वीरता, गुरु गोविन्दसिंह की गुरुता और महाराजा रणजीतसिंह के अद्भुत शौर्य और रणकौशल ने आज भी भारत के गौरव को कायम रखा है। रानी दुर्गावती, पद्मावती, किरणदेवी आदि भारत रमणियों की वीरता पढ़कर आज भी भारतीय अबलायें बल प्राप्त कर सकती है। ऐसे वीर भारत के सपूतों और आर्ध्य-ललनाओं की पवित्र चरित्र-कथायें इसमें वर्णित है। इसकी १६-१७ आवृत्तियां बंग-भाषा में हो चुकी हैं। अनुवाद भी सरल और ओजस्विनी भाषा में हुआ है। कवरपर तीनरङ्गा सुन्दर चित्र है। भीतर ८ चित्र दिये गये हैं। प्रत्येक नर-नारीको यह पुस्तक पढ़नी चाहिये। २७५ पृष्ठ की सचित्र पुस्तक का मूल्य केवल १।।।) है।