पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/११०

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मुख्य घंघे वन-सम्पति

1 । मुख्य धन्धे-वन-सम्पत्ति नरम लकड़ी के वन अधिकतर शीत प्रधान देशों में है अस्तु जाड़े में जब बर्फ गिरकर जम जाती है तो लकड़ी को वनों से ले जाने के लिए सुगम मार्ग बन जाता है । घोड़ों के द्वारा वनों में इकट्ठी की हुई लकड़ी जमी हुई नदियों तक ले जाई जाती है। जब नदियां पिघलती हैं तब यह लकड़ी नीचे जाती है और लकड़ी चीरने के कारखानों में इसको चीरा जाता है । बर्फ तथा पानी के द्वारा इन वनों में लकड़ी बहुत कम खर्चे से कारखानों तक पहुँच जाती है । अधिकांश नरम लकड़ी के वन प्रदेशों में जाड़ों में इतनी अधिक ठंडक होती है कि खेती नहीं हो सकती इस कारण उन दिनों में खेती में लगे हुए लोग वनों में लकड़ी काटने का काम करते हैं इस कारण मजदूरी भी कम देनी पड़ती है। इन सुविधाओं के अतिरिक्त शीतोम्पा कटिबन्ध के वनों में कुछ पेड़ बहुत विस्तृत क्षेत्र में पाये जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि कहीं पाइन ( Pine ) मिलता है तो मीलों तक पाइन के ही पेड़ दिखाई देते हैं। बहुत बड़े क्षेत्रफल में एक से ही वृक्ष होने से उनके काटने में सुविधा होती है। यदि वन-प्रदेशों में जल-प्रपात (Waterfalls ) होते हैं तो लकड़ी चीरने के लिए जल-शक्ति का उपयोग आसानी से हो सकता है। विशेषकर कागज़ तैयार करने के लिए लुब्दी बनाने में तो जल त-शक्ति का बहुत उपयोग होता है। बात यह है कि लकड़ो बहुत मूल्यवान चीज़ तो है नहीं जो उस पर बहुत ख़र्च किया जा सके । अतएव उसको वनों से लाने में तथा चीरने और उसकी लुन्दी बनाने में जल-शक्ति का उपयोग आवश्यक हो जाता है क्योंकि जल-शक्ति बहुत सस्ती होती है। कनाडा और नावे में जल -शक्ति की अधिकता से ही वहां लकड़ी का धंधा इतना अधिक पनप उठा है। एक बात और भी है जिससे सस्ती शक्ति का महत्व बढ़ जाता है। लकड़ी चीरने के कारखानों (Saw mills ) में बहुत सी लकड़ा व्यर्थ में नष्ट हो जाती है। यदि वहाँ शक्ति सस्ते दामों पर मिल सके तो उस लकड़ी को लुब्दी, तथा अन्य पदार्थों में परिणत करके बाहर भेजा जा सकता । अन्यथा उस लकड़ी का कोई उपयोग नहीं हो सकता! लकड़ी भारी चीज़ है इस कारण वह अधिक भाडा सहन नहीं कर सकती । अस्तु लकड़ी के उत्पन्न होने के स्थान के समीपवर्ती प्रदेश में ही यदि उसकी मांग हो तो धंधा बेहुत उन्नत कर सकता है । शीतोष्ण कटिबन्ध में वन प्रदेशों के समीप ही औद्योगिक केन्द्र हैं तथा उनके समीप ही उपजाऊं और घने आबाद प्रदेश हैं । अतएव लकड़ी की खपत वहीं हो जाती है। ऊपर लिखी हुई सुविधाओं के कारण शीतोष्ण कटिबन्ध में वन-प्रदेशों श्रा० भू०-१३