पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/१३२

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मुख्य धंधे-कृषि

मुख्यं धन्धे-कृषि ११६ सकता तो वह खेती में ही आवश्यक हेर फेर कर लेता है। उदाहरण के लिए उत्तरी अमेरिका में पाला अधिक पड़ने के कारण विशेषज्ञों ने ऐसा गेहूँ उत्पन्न किया है जो शीघ्र ही पक जावे .और फसल को पाले से हानि न पहुँचे । यदि देखा जावे तो गरमी ही एक ऐसी चीज़ है जिसकी कमी को मनुष्य किसी प्रकार पूरा नहीं कर पाता। अस्तु. खेती की उन्नति होगी या नहीं यह बहुत कुछ गरमी पर ही निर्भर रहती है। अस्तु जिन देशों में गरमी कम होती है वहीं खेती उन्नति नहीं कर सकती। साधारणतः जिस प्रदेश में सबसे अधिक गरम महीने में ५०° फै० से कम गरमी होती है वहाँ खेती हो ही नहीं सकती । खेती की सफलता के लिए लम्बी गरमियाँ श्रावश्यक हैं क्योंकि गरमी में ही पौधा उगता और बढ़ता है। उत्तर में गरमियाँ लम्बी नहीं होती किन्तु दिन लम्बा होने के कारण फसल के लिए यथेष्ट गरमा मिल जाती है। पौधे के लिए कितने जल की आवश्यकता होगी यह इस बात पर निर्भर है कि उस प्रदेश में गरमी कैसी पड़ती है। यदि गरमी अधिक पड़ती है तो अधिक जल की आवश्यकता होगी और यदि गरमी कम पड़ती है तो कम जल की आवश्यकता होगी। साधारणतया शीतोष्ण कटिबन्ध ( Temperate zone ) में कम से कम २०. इच वर्षा खेती के लिए आवश्यक है, और ऊष्ण कटिबन्ध (Tropics ) में ३० इंच से ४० इंच तक वर्षा श्रावश्यक हैं। इससे कम वर्षा होने पर खेती होना कठिन है। हाँ सिंगई के द्वारा ऐसे स्थानों पर खेती की जा सकती है। यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि मिट्टी कैसी है-इस पर खेती बहुत कुछ निर्भर रहती है। यदि मिट्टी उपजाऊ होगी तो फसल अच्छी उत्पन्न होगी और यदि मिट्टी कम उपजाऊ होगी तो फसल अच्छी उत्पन्न नहीं होगी । जिस मिट्टी में चिकनी मिट्टी ( Clay ) का अंश अधिक होता है वह वर्षा के जल को अपने कणों में सुरक्षित रखती है और इस कारण जहाँ वर्षा कम होती है और गरमी अधिक होती है वहाँ इस प्रकार मिट्टी खेती के लिए उपयोगी सिद्ध होती. है, क्योंकि वह पानी को भाप बन कर नहीं उड़ने देती। किन्तु जहाँ वर्षा अधिक होती है वहाँ इस प्रकार की मिट्टी हानिकारक होती है क्योंकि वहाँ फिर भूमि में श्रावश्यकता से अधिक नमी रहती है। जिस मिट्टी में रेत का अंश अधिक होता है वह पानी को अपने कणों में सुरक्षित नहीं रख सकती अस्तु अधिकांश जन माप बन कर उड़ जाता है। पौधों को मिट्टी में मिले हुए पानी द्वारा भोजन मिलता है। कुछ ऐसे .