खेती की पैदावार-मोज्य पदार्ष चाय का निर्यात (Export) (टनों में) भारतवर्ष सीलौन (लंका) चीन डच पूर्वी द्वीप समूह जापान फारमोसा ११,००० ७७,००० ७७,००० १२,००० कहवा भी उष्ण कटिबन्ध ( Tropics ) को उपज है। कहवा चाय की ही भाँति पीने के काम में आता है। कहवा का (Coffee ) कहवा वृक्ष गरमी और जल अधिक चाहता है। कहवे की अच्छी पैदावार के लिए ६०° फै० से ७०° फै. तक गरमी और ६." से लेकर ७०" वर्षा होना आवश्यक है। किन्तु कहवे का पौधा आरम्भ में सूर्य की तेज़ धूप को सहन नहीं कर सकता । इस कारण रबर इत्यादि बड़े बड़े पेड़ों की छाया में इसको उत्पन्न करते हैं। पाला पड़ने से कहवे का वृक्ष नष्ट हो जाता है। इसी कारण इसकी पैदावार ठंडे देशों में नहीं हो सकती। कहवे का वृक्ष ३० से ४० वर्ष तक फसल देता रहता है, परन्तु ४० वर्ष के उपरान्त वृक्ष फसल देना बंद कर देता है। बाजार में जो कहवा मिलता है उसे बनाने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है । कहवा का फल वृक्ष से तोड़ लिया जाता है । फत्त के गूदे में दो बीज होते हैं। मशीन के द्वारा इन बीजों को गूदे से निकाल लिया जाता है। फिर वीजें सात दिन तक धूप में सुखाये जाते हैं । जब बीजें बिलकुल सूख जाते हैं तब उनकी भूसी मशीन के द्वारा साफ की जाती है। अरब में लाल सागर के समीप यमन का एक छोटा सा राज्य है यहाँ का कहवा संसार में उत्तमता के लिये प्रसिद्ध है। यद्यपि यहाँ अधिक वर्षा नहीं होती पर मैदानों पर एक प्रकार ओस पड़ती है तथा आकाश पर धुंधलापन रहता है जिससे कि सूर्य की तेज धूप पौधे को हनि नहीं पहुँचाती। ब्राजील. कहवा उत्पन्न करने वाले देशों में प्रमुख है। संसार का दो
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