२२२ वार्षिक भूगोल . जर्मनो का कोयला फ्रांस को. तथा फ्रांस अपना लोहा जर्मनी को नहीं देना चाहता था, किन्तु फिर भी जर्मनी के रुर प्रान्त की स्थिति लारेन प्रान्त से अच्छी थी क्योंकि वह स्पेन तथा स्वीडन से लोहा मँगा सकता था किन्तु लारेन को यथेष्ट कोयला मिलना कठिन था। कुछ समय के उपरान्त दोनों में समझौता हो गया और कोयला तथा कच्चा लोहा आपस में ले देकर दोनों काम चलाने लगे। वार्साई संधि के उपरान्त फिर जर्मनी ने अपने धन्धे को बढ़ाना प्रारम्भ किया और कुछ ही वर्षों में उसके कारखानों की उत्पत्ति १९१४ की उत्पत्ति से कुछ ही कम रह गई। बैलजियम के लोहे तथा सात (Steel ) के धन्धे का आधार वहाँ का कोयला तथा सस्ते मजदूर हैं। श्रारम्भ में यहाँ लोहा भी निकलता था किन्तु अब तो लोहे की खाने प्रायः समाप्त हो गई हैं और लारेन प्रदेश के लोहे का उपयोग होता है। कोयला भी वैलजियम में यथेष्ट नहीं है इस कारण कोयला भी बाहर से मँगवाना पड़ता है। संसार में जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़ कर सब .से. .अधिक लोहा तथा स्टील तैयार करता है। पिछले योरोपीय महायुद्ध के फल स्वरूप जर्मनी के हाथ से लारेन लोहे का धंधा ( Lorrnine ) तथा लक्समबर्ग (Luxemberg) की लोहे को खाने निकल जाने से तथा कर की कुछ कोयले की खाने भी फ्रांस को मिल जाने से जर्मनी के धंधे को बहुत क्षति पहुँची किन्तु जर्मनी ने पिछले वर्षों में बड़ी शीघ्रता से अपने धंधे को बढ़ाया है । जर्मनी में जो लोहे की खाने हैं उनमें अधिक लोहा नहीं है। और कच्चे लोहे में शुद्ध लोहे का प्रतिशत भी बहुत कम है। अतएव जर्मनी को 'स्पेन, स्वीडन, तथा अन्य देशों से लोहा मँगाना पड़ता है। जर्मनी में लोहे तथा स्टील के धन्धे का प्रधान केन्द्र रैनिश वेस्टफैलिया ( Rhenish West Phalin ) का प्रदेश है । इसके अतिरिक्त सोगरलैंड ( Siegerland ) सिलीशिया (Silesia) उत्तर, मध्य, तपा दक्षिण जर्मनी तथा सैक्सनी ( Saxony ) में भी लोहे के कारखाने हैं। घर की घाटी में एसेन ( Essen ) का प्रसिद्ध लौह-केन्द्र है जहाँ कि संसार प्रसिद्ध कप (Krupp) के कारखाने हैं। जर्मनी में जितना लोहा और स्टील तैयार होता है उसका दो तिहाई से अधिक जर्मनी में ही खप जाता है शेष विदेशों को जाता है। ऊरर लिखी हुई स्पिति सन् १६३६ के पूर्व की है । द्वितीय योरोपीय महायुद्ध के पारम्भ होने पर तो सारी रिपति ही बदल गई। मांस का
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