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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२४७

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गौण उधोग-धंधे

गौण उद्योग-धन्धे २३७ गया तब तो जापान का सूती कपड़े का धन्धा और भी पना उठेगा । यदि चीन विजयी हो गया तो चीन का बाजार जापान के हाथ से निकल जावेगा जिसका बुरा प्रभाव धन्धे पर अवश्य पड़ेगा। जर्मनी का सूती कपड़े का धन्धा मुख्यत: सैक्सनी ( Saxony ) तथा वैस्टफेलिया ( West phalia) के प्रदेश हैं। सैक्सनी जर्मनी में कैमनिज (Chemnitz ) प्लायन ( Plauen ) ज्वीकाऊ ( Zwickan ) तथा वैस्टफेलिया में मुनचन Y Munchen ) 216717 ( Gladbach ) ITHA ( Bremen ) ata ऐल्बरफेल्ड' (Alberfeld ) मुख्य केन्द्र हैं। इनके अतिरिक्त राइनलैंड, सिलीशिया दक्षिण जर्मनी में भी कुछ केन्द्र हैं जहाँ सूती कपड़े का धन्धा केन्द्रित है। पिछले योरोपीय युद्ध के फल स्वरूप जर्मनी के सूती कपड़े का प्रमुख केन्द्र असैटियन ( Alsatian ) उससे छिन गया। अल्सैटियन हो जर्मनी का ऐसा केन्द्र था जहाँ की जलवायु बढ़िया तथा बारीक सूत कातने तथा बढ़िया काड़ी बुनने के लिए अनुकूल थी। जर्मनी ने १९३६ के युद्ध में उसे फिर अपने अधिकार में कर लिया। फ्रांस में भिन्न भिन्न प्रकार के फैशनेविल डिजाइन का कपड़ा बनाने का चलन है। एक ही प्रकार का बहुत कपड़ा वहाँ नहीं फ्रांस'. वनाया जाता । उत्तर पूर्वी कोयले की खानों के समीप वोसजेस ( Vosges ) प्रदेश में तथा अरसेस ( Alsace ) और सेंट इटिनी (St. Etienne ) के जिलों में केन्द्रित

है। इनके अतिरिक्त रोयन ( Rouen ) नैनटीज़ ( Nantes ) जिलों

में भी सूती कपड़े के कारखाने हैं। इन देशों के अतिरिक्त इटली, चीन तथा भारतवर्ष में भी यह धन्धा उन्नति कर रहा है । प्रथम योरोपीय महायुद्ध के पूर्व १९१३ में ब्रिटेन जगत का तीन चौथाई काड़ा तैयार करता था किन्तु अब वह पैंतालीस प्रतिशत से भी कम कपड़ा तैयार करता है । भविष्य में जापान, अमेरिका तथा अन्य देशों की प्रतिस्पर्धा में लंकाशायर तभी खड़ा रह सकेगा जब कि वह लागत खर्च के घटाने तथा धन्धे को नवीन व्यवस्था करने में सफल होगा। सूती कपड़े के धन्धे के साथ साथ सब देशों में कारखानों की खराब कपास (. Waste.Cotton) को कातकर उसका मोटा कपड़ा बनाने का धन्धा चल पड़ा है । लंकाशायर में यह धन्धा बहुत उन्नति कर गया है। .