पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२३६
आर्थिक भूगोल

२३६ आर्थिक भूगोल जापान में मिल मजदूर बहुत कम मजदूरी पर काम करते हैं। सूती कपड़े के धन्धे में अधिकांश मजदूर स्त्रियां हैं। उनकी मजदूरी अन्य देशों की तुलना में बहुत कम हैं। किन्तु इससे यह न समझ लेना चाहिए कि मजदूर कुशल नहीं होंगे, जापानी मजदूर कुशल होते हैं और अच्छा काम करते हैं। जापानियों ने मशीनों में बहुत सुधार किया है जिससे कपड़ा तैयार करने का ख़र्चा बहुत कम होता है। उनका बराबर यह प्रयत्न रहता है कि किसी प्रकार लागत व्यय कम किया जाय । जापानी कारखाने रात और दिन काम करते हैं अस्तु वहाँ मशीनों का पूरा पूरा उपयोग होता है और मशीनों के पुरानी हो जाने तथा घिस जाने पर नई और बढ़िया मशीन खरीद ली जाती है। जापान से चीन और भारतवर्ष पास है इस कारण तैयार माल को.इन बाजारों में भेजने की सुविधा रहती है। साथ ही जापानी रेलें तथा जहाजी कम्पनियां जो माल विदेशों का जाता है उस पर अपेक्षाकृत बहुत कम किराया लेती हैं। किसी किसी माल पर तो जाहाजी कम्पनियां अन्य देशों की कम्पनियों से पचास प्रतिशत कम किराया लेती हैं। जापान के दाक्षिणी प्रदेश में मुख्यतः यह धन्धा केन्द्रित है। इस धन्धे के मुख्य केन्द्र बोसाका ( Osaku ) नोया ( Nagoya) और टोकियो (Tokiyo ) हैं। ओसाका प्रमुख केन्द्र है। अभी तक जापानी कारखाने अधिकतर घटिया कपड़ा तैयार करते थे किन्तु पिछले कुछ वर्षों से बढ़िया कपड़े तैयार करने का प्रयत्न किया जा रहा है अस्तु अमेरिकन कपास की खपत तेजी से बढ़ रही है । जापानी कपड़े के मुख्य खरीदारभारतवर्ष तथा चीन हैं। चीन और जापान युद्ध के कारण जापानी काड़े की मांग चीन में बहुत कम हो गई । इस कारण जापानी घन्धे को क्षति पहुँची है। कपास उत्पन्न नहीं होती। अधिकांश कपास भारतवर्ष तथा संयुक्तराज्य से थाती है। कुछ कपास ईजिप्ट तथा चीन से भी आती है। पिछले वर्षों में जापान ने संयुक्तराज्य अमेरिका की कपास को पहले की अपेक्षा अधिक. खरीदना प्रारम्भ किया है क्योंकि वहाँ वढ़िया कपड़ा तैयार किया जाने लगा है । जापानी कारखानों में भारतीय कपास, को बढ़िया भमेरिकन कपास में मिलाकर बारीक सूत कातने का आविष्कार किया गया है। यह खोज बहुत लाभदायक सिद्ध हुई है। पहिले. जापान भारतवर्ष अपना आवश्यकता के ६५ प्रतिशत कपास खरीदता था किन्तु अब ४५ मरशत से कुछ ही अधिक खरीदता है। मिश्र की कपास की खपत भी जापान में बढ़ रही है। चीन जापान युद्ध से जापान के धन्धे की प्रगति रुक गई है। यदि इस युद्ध के फलस्वरूप जापान का चीन पर प्रभुत्व स्थापित हो जापान में