व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केन्द्र २६१ . शाली जानवर होता है इस कारण वह पीठ पर लाद कर १५०० पौंड तथा खींचकर २ से ३ टन तक बोझ ले जा सकता है। किन्तु हाथी बहुत धीरे चलता है इस कारण उसका अधिक उपयोग नहीं होता। इनके 'अतिरिक लामा ( Llaina ) ऐन्डीज़ पर्वतमाला के बहुत ऊँचे भागों में बोम ढोने के काम आता है । जहाँ बहुत ठंड पड़ती है और ऊँचाई अधिक होती है वहाँ बोझ ढोने का काम यही पशु करता है । यह १०० पौंड बोझ लादकर १२ से १४ मील प्रति दिन चल सकता है। मध्य एशिया के बर्फीले हिमालय प्रदेश में यांक बोझ ढोने का काम करता है । याकं १०० पौंड बोझा ले जाता है । याक के अतिरिक्त निचले पहाड़ी प्रदेश में ( मध्य एशिया ) भेंड और बकरों का भी बोझ ढोने के लिए उपयोग होता है किन्तु यह २५-३० पौंड से अधिक बोझ नहीं ले जा सकते । उत्तर के बर्फीले प्रदेश (टुंडा ) में रेडियर बोझ ढोने के काम आता है । यह साधारण बैल से कम बोझ ले जा सकता है। इनके अतिरिक्त उन प्रदेशों में जहाँ अन्य पशु नहीं मिलते वहाँ कुत्तों का भी उपयोग होता है। 1. यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि पशुओं के द्वारा खींची जाने वाली 'पहियेदार गाड़ियों का आविष्कार होने पर सड़कों की सड़कें श्रावश्यकता हुई। किन्तु आज तो मोटर बस के अधिक प्रचलित हो जाने से सड़कों का महत्व बहुत बढ़ गया है। मोटर बस ट्रैफिक के लिए बहुत: अंन्छी और मजबूत सड़कों की आवश्यकता है। पिछले बीस पच्चीस वर्षों में मोटर बसों की प्रतिस्पर्धा के कारण रेलों की.आय.कम हो गई । प्रत्येक देश में मोटर रेल स्पर्धा ने भीषण रूप धारण कर लिया है.। मोटर के:लिए विशेष प्रकार के मार्ग, स्टेशन तथा अन्य बातों की आवश्यकता नहीं पड़ती। साप ही मोटर में सामान ले जाने में माल को भिन्न भिन्न स्थानों पर उतरना चढ़ना नहीं पड़ता। फिर भी अधिक दूरी तथा भारी , चीज़ों के लिए रेल ही अधिक उपयुक्त और सस्ती रहती है ..... .. गांवों में गमनागमन के लिए सड़के ही अधिक उपयुक्त होती हैं क्योंकि वहाँ इतना गमनागमन और माल नहीं होता कि रेलों का खोलना लाभदायक हो । यदि रेलों को गांवों से सड़कों द्वारा जोड़ दिया जावे तो गांवों का माल वहाँ । आ सकता है और वहाँ से दूसरे स्थानों को जा सकता है । पिछले दिनों में सड़कों का महत्व बहुत बढ़ गया है । इस सम्बंध में यहाँ कुछ 'आंकड़े देते. हैं :--:. ::
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