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आर्थिक भूगोल

मार्ग २७० आर्थिक भूगोल तथा वन पाच्छादित और पिछड़ा होने के कारण इसका अधिक उपयोग नहीं होता। प्रो.रनिको जो वैन जिला से होकर बहती है एक लम्बा मार्ग है। किन्तु सबसे महत्वपूर्ण जलमार्ग पराना नदी का है जो अरजैनटाइन, परेग्वे, युरेग्वे होता हुआ दक्षिण ब्राज़ील तक पहुंचता है। दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी भाग में रायो नीयों पैटेगोनिया के भेड़ प्रदेश से होकर जाती है। यद्यपि नील अफ्रीका की सबसे बड़ी नदी है किन्तु वह ऊँचे स्थानों से गिरती है और भंयकर जल प्रपात हैं साथ ही मध्य अफ्रीका के जल में भी वह ऊबड़ खाबड़ प्रदेश से बहती है । इस कारण वह केवल डेल्टा में ही खेने योग्य है । जैम्बसी २५० मील तक खेई जा सकती है। अफ्रीका में कांगों सबमे महत्वपूर्ण जलमार्ग है उसकी मुख्य सहायक नदी उबांगी अपने मूल स्थान तक खेई जा सकती है। पश्चिमी अफ्रीका में नाइगर ५०० मील तक और गैम्विया २०० मील तक खेई जा सकती है। क्योंकि अफ्रीका में रेलों का विस्तार नहीं हुआ है इस कारण नदियाँ ही यहाँ का मुख्य मार्ग हैं। चीन को तीन प्रमुख नदिया हांगहो, यांगटिसी कियांग और सीकियांग मुख्य जलमार्ग हैं । यांगटिसी पर मूल स्थान से १००० चीन के जलमार्ग मील तक स्टीमर जा सकते हैं और हंकाऊ तक जो समुद्र से ६८० मील ऊपर है समुद्री जहाज़ पहुँच सकते हैं। ऊपरी हिस्से में यह नदी जैवुवान प्रान्त में होकर बहती है जो अफ़ीम, रेशम, कपास तथा खनिज सम्पत्ति का धनी है उस कारण इस भाग में बहुत व्यापार होता है। हांगहो व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि वह बहुत तेज़ और छिछली है। हांगहों 'चीन का शोक' कही जाती है क्योंकि उसकी बाढ़ों से धन जन का बहुत नाश होता है। सीकियांग ‘में बहुत दूर तक स्टीमर जा सकते हैं उस कारण वह एक महत्वपूर्ण मार्ग है। पी-हो भी एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है और टिंटसिन तक खेई जा सकती है उत्तरी भारत के जलमार्ग बहुत महत्वपूर्ण हैं। गंगा कानपुर तक स्टोमरों द्वारा खेई जा सकती है। यह नदी भारत के अत्यन्त भारत के जलमार्ग उपजाऊ प्रान्तों में से होकर बहती है उस कारण यह महत्त्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है। रेलों के निकलने के पूर्व उत्तर भारत का यही मुख्य व्यापारिक मार्ग था । यद्यपि रेलों के निकल जाने से इसका महत्व घट गया है किन्तु नीचे के भाग में ( बिहार और चंगान में ) अब भी वह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है। सिंध में डेरा स्माइल खो (८०० मील ) तक स्टीमर जा सकते हैं। कपास, ऊन और गेहूँ