तेरहवाँ परिच्छेद जनसंख्या और नगर पृथ्वी पर जनसंख्या एक सी नहीं है। कहीं तो जनसंख्या धनी है तो कहीं बिखरी । जनसंख्या का यह वितरण अत्यन्त सामाजिक और आर्थिक महत्व की बात है। कुछ स्थानों में जनसंख्या इतनी धनी है कि यह कल्पना ही नहीं की जा सकती कि वहां मनुष्य कैसे आराम से रह सकता है। इसके विपरीत कुछ ऐसे प्रदेश भी मिलेंगे जहाँ कि आबादी इतनी बिखरी हुई है कि मनुष्य का जीवन एकाकी और नीरस सा हो जाता है। कहीं कहीं गांवों में सैड़कों मनुष्य प्रति वर्ग मील के हिसाब से निवास करते हैं तो कहीं श्राबादी प्रायः नहीं होती। चीन तथा भारत के मैदानों और योरोप के धनी औद्योगिक देशों में जहाँ आबादी बहुत घनी है वहां कनाडा के उत्तरीय भाग और अमेज़न के निचले प्रदेश में आबादी बहुत बिखरी है। यहाँ हम जनसंख्या के घनत्व के सम्बन्ध में विचार करेंगे कि जनसंख्या के घनत्व ( Density ) में यह अन्तर क्यों है। जनसंख्या के धनी और बिखरी होने के मुख्यतः भौगोलिक कारण हैं। कुछ दशाओं में आबादी के घने अथवा बिखरी जनसंख्या के धनी होने का कारण स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए और विखरी ग्रीनलैण्ड का अतिशीत और अरेबिया अथवा सहारा श्रावाद होने के का अत्यन्त सूखा होना वहाँ की निर्जनता और बिखरी कारण और उसके पावादी का मुख्य कारण है। किन्तु कुछ दशात्रों में परिणाम आबादी के घनत्व के कारण अधिक पेचीदा है जैसे उत्तर-पश्चिमीय योरोप और पूर्वी संयुक्तराज्य अमेरिका । इन भूभागों की घनी आबादी के बहुत से सम्बन्धित कारण हैं। हमें इन सम्बन्धित कारणों और उसके परिणामों का अध्ययन करना है। जो लोग कि घनी आबादी अर्थात् बड़े बड़े केन्द्रों में सटे प्लैटों और कमरों में चार पांच मंजिल वाली इमारतों और बिखरे हुए झोपड़ों में रहते हैं उनका सामाजिक जीवन, दृष्टि कोण और कार्य एक से नहीं हो सकते । विस्तृत मैदानों में रहने वाला ग्रामीण नगरों के जीवन और उसकी समस्याओं को नहीं समझता।
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