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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३०७

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जनसंख्या और नगर

- . जनसंख्या और नगर जो लोग कि पनी पाबादी में रहते हैं उनमें सामूहिक भावना उदय होती है और बिखरी हुई पाबादी में व्यक्ति को घनी और विखरी भावना जागृति होती है। पनी श्राबादी में रहने वाला श्रावादो के गुण व्यक्ति अधिक लोगों से परिचित हो सकता है और दोष जो लोग भीड़ में रहते हैं यदि उनमें तनिक भी महत्त्वाकांक्षा, साहस और पुरषार्थ होता है तो वह शीघ्र ही किसी दल या समूह का नेता बन जाता है। घनी आबादी की सब मिलाकर सम्पत्ति अधिक होने के कारण शिक्षा चिकित्सा और अन्य सामाजिक सुविधायें वहां सरलता से उपलब्ध हो सकती हैं। जहाँ श्राबादी बिखरी होती है वहाँ ये सुविधायें उपलब्ध नहीं हो पाती और यदि होती भी हैं तो भी दूरी के कारण उनका पूरा उपयोग नहीं हो पाता । व्यक्तियों का नेतृत्व, सामूहिक जीवन और संगठित जीवन घनी आबादी की देन है थान नगरों से ही हमें राजनैतिक, सामाजिक तथा धार्मिक नेहल प्राप्त होता है। यह लोगों के समीप और घने आबादी वाले स्थानों में रहने से जो शिक्षा मिलती है उसका परिणाम है। किन्तु घनी आबादी के सब गुण ही हों ऐसी बात नहीं है। अधिक घनी आबादी में छोटे छोटे कम हवादार-मकानों, हवा के दूषित होने, गंदगी बढ़ने की समस्या खड़ी हो जाती है। स्वास्थ्य कर खेलों और मनोरंजन के लिए स्थान तक नहीं रहता। इससे बीमारियां फैलने, पतन की ओर ले जाने वाले मनोरंजन और अस्वस्थ कर श्रादतें फैलती हैं। घनी आबादी में व्यक्ति भीड़ में डूब जाता है उसके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो सकता है और अधिकांश लोग नौकरी करते हैं इस कारण वे अार्थिक दृष्टि से स्वतंत्र न होकर दूसरों पर निर्भर रहते हैं। किसान अथवा पशु पालन करने वाला आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होता है और भाड़ से दूर रहता है। नगरों में मनोरंजन अधिकतर व्यापारिक होता है इस कारण मनुष्य अपना बहुत सा समय श्रम रहित कार्यों में व्यय करता है और अपने परिवार वालों के साथ बैठ कर बातचीत करने, पढ़ने, सोचने के लिए कम समय पाता है। विचारों की परिपकिता एकान्त जीवन से ही पाती है और भीड़ भाड़ में नहीं हो सकती । संसार को अधिकांश धार्मिक विचार और दर्शन उन्हीं लोगों से मिले हैं जो एकान्त में रहते थे। रात्रि को खेतों की रखवारी करते समय, दिन में जानवरों को चराते समय मनुष्य के मन में जो विचार उटते हैं . उसकी जो सूक होती है वह शोर गुल वाले नगरों में रहने वालों की नहीं हो सकती। श्रा० भू.-३० --