चौदहवाँ परिच्छेद मुख्य-व्यापारिक देश यदि हम पृथ्वी के प्रत्येक भाग के आर्थिक भूगोल का अध्ययन करें तो हमको ज्ञात होगा .कि दो प्रकार के देश हैं। एक तो वे देश कि जिनकी श्रौद्योगिक उन्नति हो चुकी है और जो तैयार माल बाहर मेजते है, दूसरे वे देश कि जो कृषि प्रधान देश हैं और जो कच्चा माल तथा खाद्य पदार्थ बाहर भेजते हैं। सर्व प्रथम श्रौद्योगिक क्रान्ति योरोप में हुई इस करण योगेपीय देशों में श्रौद्योगिक उन्नति हो गई । औद्योगिक उन्नति के फल स्वरूप इन देशों में पूंजी इकट्ठी होने लगी और श्राबादी तेजी से बढ़ने लगी । इस क्रान्ति से योरोपीय देश शक्तिशाली हो गए, उन्होंने एशिया, अफ्रीका, तथा अमेरिका महाद्वीपों को ढूँढ निकाला और उन पर अपना राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित कर लिया । इसका परिणाम यह हुआ कि इन प्रौद्योगिक योरोपीय देशों को कच्चा माल प्राप्त करने तथा अपने तैयार माल को बेंचने के क्षेत्र अनायास ही मिल गए । इस प्रकार औद्योगिक क्रान्ति सफल हुई और योरोपीय देश औद्योगिक उन्नति की दौड़ में बहुत आगे निकल गए । अन्य महादीप राजनैतिक दासता के कारण अपने उद्योग-धंधों की उन्नति न कर सके वे पिछड़े रहे। किन्तु अब क्रमशः पिछड़े हुए देश भी औद्योगिक उन्नति करने का प्रयत्न कर रहे हैं। फिर भी अभी तक एशिया, अफ्रीका, श्रास्ट्रेलिया तथा अमेरिका मुख्यतः कृषि प्रधान देश ही बने हुए हैं और प्रौद्योगिक देशों को कच्चा माल देते हैं। हो संयुक्तराज्य अमेरिका तथा जापान अवश्य ही प्रथम श्रेणी के औद्योगिक देश बन गए हैं। एशिया का महादीप संसार के सब महाद्वीपों से बड़ा है। इसका क्षेत्रफल लगमा १७२ लाख वर्ग मील है। पृथ्वी की लगभग एशिया एक तिहाई भूमि का यह भूभाग पृथ्वी की लगभग श्राधी जनसंख्या का निवास स्थान है। संसार की प्राचीन सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप के देशों में हुषा ।.एशिया देश किसी समय अत्यन्त समृदिशाली थे । संसार में महाराष्ट्र भारत और चीन की कारीगरी की धूम यो । किन्तु आज एशिया प्रौद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। परन्तु एशिया के कुछ देशों में औद्योगिक उन्नति के सभी साधन मौजूद i
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