पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३१३

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मुख्य- व्यापारिक देश

मुख्य-व्यापारिक देश } -- OO -) का इराक के क्षेत्र में तेल निकलता है। अन्यथा इन प्रदेशों में खेती बारी स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होती है किन्तु यहाँ का मुख्य धंधा पंशु पालन है। पांच बड़े. दीपों और ४००० . छोटे द्वीपों का यह देश एक पर्वतमाला का बचा हुआ भाग है । इसका क्षेत्रफल १,५१, जापान : - वर्गमील है । यह ब्रिटिश दीपसमूह.से कुछ बड़ा है। सारा देश पहाड़ी है और अधिकांश पहाड़ ज्वालामुखी है। देश में ५० से अधिक प्रज्वलित, ज्वालामुखी हैं। भूकम्पों के द्वारा जापान की बहुत हानि हो चुकी है। यह ज्वालामुखी पहाड़ जंगलों से भरे हुए हैं इस कारण देश के.भीतरी. भाग में न तो अधिक आबादी ही है और न उद्योग-धंधे और खेती-बारी के लिए सुविधायें हैं। देश धरातल एक सा नहीं है । भीतर की ओर पहाड़ फैले हुए हैं। पहाड़ों का ढाल बहुत अधिक है। इस कारण वर्षा के दिनों में नदिया बड़े वेग से बहकर पहाड़ों की मिट्टी को बहाकर समुद्र तट के समीप जमा "देती हैं। यही कारण है. कि तटीय मैदान बहुत उपजाऊ हैं और यहाँ 'आबादी घनी है। देश का धरातल ऊबड़-खाबष्ट होने के कारण रेलों तथा मांगो के बनाने में रुकावट डालता है। धरातल की बनावट ठीक न होने के

कारण रेलें बहुत हेर-फेर से ले जाई गई हैं। जापान की नदियों सड़कों के

निकालने में बाधक हैं । वर्षा के दिनों में इन : नदियों में भयंकर बाढ़ आती है । बाढ़ आने से गांवों को बहुत: हानि पहुँचाती है और सड़कें व्यर्थ हो जाती हैं । तटीय मैदानों में समुद्रीय मार्ग की सुविधा तथा तटीय रेलों के के कारण बड़े बड़े औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापापिक केन्द्र समुद्र तट के सम.प. ही हैं। भीतर की ओर गमनागमनं के साधनों की असुविधा है। जापान की जलवायु दक्षिण से उत्तर की ओर बदलता जाता है, तथा पूर्व और पश्चिम की जलवायु में भी बहुत भिन्नता है । इसका कारण यह है जापान के दीप दक्षिण अक्षांशों (S. Latitu les ) से उत्तर अक्षांशों (N. Lntituiles ) तक फैले हुए हैं। उत्तर में उत्तर-एशिया की ठंडी हवायें बहती हैं जो इसको और भी अधिक ठंडा' बना देती है। पूर्व में गरम समुद्र की धारा बहने के कारण पूर्वी भाग गरम रहता है । जापान का उत्तरी पश्चिमी भाग जाड़ों में बहुत ठंडा रहता है क्योंकि सायबेरिया की ठंडी हवायें वहां चलती हैं। परन्तु दक्षिणी पूर्वी भाग जाड़ों में कम ठंडा रहता है। पहाड़ों की श्रेणियाँ ठंडी हवा को रोक लेती हैं.और पूर्व में गरम पारा वहती .