मुख्य व्यापारिक देश उत्तर में कम होती जाती है। चीन. में कुंछ प्रान्तों (निगंसिया, सूयान, चहार और जिहोल ) में वर्षा केवल १० से १६ इंच ही होती है उत्तर में कुछ प्रदेश मरुभूमि है । तिब्बत का पठार ठंडा और शुष्क है । चीन का मुख्य धंधा खेती हो है। खेती के साथ ही किसान मुर्गी पालने तथा रेशम उत्पन्न करने का धंधा भी करता है। आज से कुछ वर्ष पूर्व तक चीन में अफीम उत्पन्न करने का धंधा बहुत महत्वपूर्ण था किन्तु जबसे चीन में राज्य ने अफीम खाने के विरुद्ध प्रचार करना प्रारम्भ किया तबसे अफीम की पैदावार लगभग समाप्त हो गई और उसके स्थान पर कपास तथा गन्ने की खेती की नाने लगी है। चीन कृषि प्रधान देश है फिर भी जनसंख्या बहुत ही घनी है। इस कारण मैदान ही नहीं पहाड़ों के ढालों पर भी वनों को साफ करके खेती करना प्रारम्भ कर दिया गया है। चीनी किसान इतनी गहरी खेती ( Intensive ) करता है कि उसका छोटा सा खेत एक बाग का रूप धारण कर लेता है। अपने घर का कूड़ा-करकट, मुर्गियों के द्वारा उत्पन्न की हुई खाद सभी वह अपने खेत में डाल देता है। खेती के अतिरिक्त वह मुर्गी पालकर तथा रेशम उत्पन्न करके अपी श्राय को बढ़ाता है । इस प्रकार गहरी खेती करने के उपरान्त ही वह उस थोड़ी सी भूमि पर निर्वाह कर सकता है। चीन के उत्तरी भाग में गेहूँ, सोया बीन, मूंगफली, तथा मका मुख्यतः पैदा होती है । मध्य तथा दक्षिण में चावल, कपास, रेशम, चाय तथा गन्ना मुख्य पैदावारें हैं। इसका यह अर्थ नहीं है कि मध्य तथा दक्षिण में गेहूँ इत्यादि अनाज उत्पन्न ही नहीं होते, अथवा उत्तर में कपास 'तथा रेशम उत्पन्न नहीं होता । यांगटिसी-कियांग बेसिन में रेशम. बहुत उत्पन्न होता है। उत्तर में भी कुछ रेशम उत्पन्न होता है किन्तु वहाँ शहतूत का वृक्ष नहीं होता इस कारण बलूत ( onk) के वृक्ष की पत्तियों पर कोड़े पाले जाते हैं। यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि सर्वत्र खेती के साथ चीन में मुर्गी पालने का धंधा होता है। चीन का रेशम बहुत अच्छा नहीं होता क्योंकि कीड़ों को वैज्ञानिक ढंग से नहीं पाला जाता । यदि रेशम को उत्पन्न करने में सावधानी की जाये तो चीन का रेशम अच्छी जाति का हो सकता है। यद्यपि.इस समय यह देश कृषि पर ही अवलम्बित है। परन्तु इसकी खानों में अनन्त सम्पत्ति भरी पड़ा है। चीन में संयुक्त राज्य अमे रेका को छोड़कर सब देशों से अधिक कोयला पाया जाता है । कोयले की खाने धनी आबादी वाले प्रदेशों में पाई जाती हैं । शाशी, शान्डंग, होप्ये (Hopei) तथा होनान में कोयले की बहुत खाने हैं। जिनमें अनन्त राशि में कोयला भरा श्रा० भू०-४० . .
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३२२
दिखावट