पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३१२
आर्थिक भूगोल

३१२ आर्थिक भूगोल मध्य चीन यांगटिसी-कियांग नदी का प्रदेश है। इस प्रदेश का आर्थिक महत्व बहुत कुछ यांगटिसी-कियांग नदी पर निर्भर है। यह प्रदेश पश्चिम में तिब्बत के ऊँचे पठार से क्रमश: नीचा होता गया है, और पूर्व में मैदान हैं। इस प्रदेश के प्रान्त भिन्न भिन्न ऊँचाई पर हैं। पश्चिम में जैचुआन का प्रान्त सबसे ऊँचा है, परन्तु उसके मध्य में लाल मिट्टी वाला ( Red Busin ) नीचा मैदान है । इसके पूर्व में ह्य पेह तथा ह्य नान कुछ कम ऊँचे हैं। इनके भी पूर्व में कियांगसी तथा श्रान्हवी के प्रान्त तथा पूर्व के मैदान नीचे हैं। यांगटिंसी कियांग का प्रदेश बहुत उपजाऊ है। लाल मिट्टी का मैदान संसार में अत्यन्त उर्वरा प्रदेशों में से है। इस प्रदेश में खेती के ही द्वारा २००० मनुष्य प्रति वर्ग मील निर्वाह करते हैं। पूर्व के मैदान भी बहुत उपजाऊ और घने आबाद हैं। दक्षिण चीन अधिकांश पर्वतीय तथा ऊँचा है। इसमें सीकियांग नदी का बेसिन तथा कैन्टन का डेल्टा महत्वपूर्ण हैं। पश्चिम में ऊँचाई अधिक और पूर्व में कम है। चीन एक विशाल देश है, इस कारण यहाँ जलवायु को भिन्नता विशेष रूप से पाई जाती है। गर्मियों में दक्षिण तथा मध्य में खूब गमीं पड़ती है किन्तु उत्तर में गर्मी कम हो जाती है। जाड़ों में उत्तर चीन में शीत बहुत अधिक होता है किन्तु दक्षिण में ठंड कम होती है। चीन में वर्षा गर्मियों में ही होती है। किन्तु वर्षा उत्तर में कम होती है। यांगटिसीकियांग के प्रदेश में वर्षा गर्मी तथा जाड़े दोनों में ही होती है। चीन में मानसून बहुत अनिश्चित है । किसी वर्ष वर्षा बहुत होती है तो किसी वर्ष बहुत कम । इस कारण खेती भी बहुत अनिश्चित होती है। जिस वर्ष वर्षा अधिक होती है बाढ़ से और जिस वर्ष सूखा पड़ जाता है पानी की कमी से अकाल पड़ जाता है खेती नष्ट हो जाती है। करोड़ों मनुष्यों की स्थिति दयनीय हो जाती है। जलवायु की दृष्टि से चीन को कई भागों में विभक्त किया जा सकता है । (१) दक्षिण और दक्षिण पूर्व चीन में जिसमें चीन का जलवायु कांगसी कांगटन और पयूकन का अधिकांश भाग सम्मिलित है। इस प्रदेश में गरमी खूब पड़ती है और वर्षा ६० इंच होती है। मध्य चीन जो कि यंगटिसी नदी का प्रदेश है इसमें गरमी और वर्षा दक्षिण से कम है और जैसे जैसे उत्तर में बढ़ते जाइये वर्षा और गरमी कम होती जाती है। उत्तरी चीन का जलवायु गरमियों में गरम और जाड़ों में अधिक टंडा है । वर्षा गर मयों में ही होती है और