पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३३४

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मुख्य व्यापारिक देश

मुख्य व्यापारिक देश ३२५ लंकाशायर की कोयले को खानों पर सूती वस्त्र का धंधा केन्द्रित है। मिडलैंड की कोयले की खानों की उन्नति का कारण वहाँ का लोहे और स्टील का धंधा है। १९२६ के उपरान्त लोहे के धंधे की अवनति होने के कारण इन खानों की स्थिति भी खराब हो गई है। स्काटलैंड की ये परशायर की खानों का कोयला मुख्यतः विदेशों को जाता है । क्लाइड के मुहाने के समीप जो जहाज़ बनाने का धंधा है वह लैनार्क-शायर की कोयले की खानों तथा लोहे की खानों पर निर्भर है। ब्रिटेन में लोहे की खाने नीचे लिखे स्थानों पर स्थित हैं:-उत्तरी लोहे के खाने लेनार्कशायर, क्लाइड बेसिन (CIydeBasin) उत्तरी स्टैफोर्डशायर और दक्षिण वेल्स | दक्षिण वेल्स की लोहे की खाने प्रायः समाप्त हो आई हैं और यहाँ का लोहे का धंधा म्पेन और फ्रांस के लोहे पर निर्भर है। ब्रिटेन का सबसे महत्व- पूर्ण लौह प्रदेश दक्षिण पूर्व इङ्गलैंड में है जहाँ से ब्रिटेन का ६५ प्रतिशत लोहा निकलता है। मुख्य लोहे के खनिज केन्द्र नीचे लिखे हैं:-(१) क्लीवलैंड की पहाड़िया (२)लिंकलनशायर ( ३ ) नार्थैम्पटन शायर (४) उत्तरी श्राक्सफोर्ड शायर के बैनबरी स्थान में । देश की खानों से निकलने वाला लोहा यथेष्ट नहीं होता इस कारण लोहा बाहर से मंगाना पड़ता है। लोहा और कोयले को छोड़ कर अन्य धातुओं की दृष्टि से ब्रिटेन धनी नहीं है परन्तु ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर वे धातुयें मिल जाने की सुविधा है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में पैट्रोलियम, मैंगनीज़, टंगस्टन, ताबा, एलूमीनियम निकल और क्रोम बिलकुल नहीं होता । इन धातुओं को बाहर से मंगाना पड़ता है। त्रिटेन मुख्यतः औद्योगिक देश है वहाँ की बहुत थोड़ो जनसंख्या खेतो. पर निर्भर है। स्काटलैंड की ३ प्रतिशत और इङ्गलैंड ब्रिटेन में खेती को २ प्रतिशत जनसंख्या खेती में लगी हुई है आयरलैंड का धंधा की ५३ प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है। खेती के योग्य भूमि की कमी होने के कारण वहाँ बहुत गहरी खेती होती है। पिछले युद्ध में इस बात का प्रयत्न किया गया कि खेती की पैदावार को बढ़ाया जावे। इस आन्दोलन के फल स्वरूप लगभग ७० लाख एकड़ नई भूमि पर खेती की जाने लगी है। इसी बीच में खेती की पैदावार में भी कल्पनातीत वृद्धि हुई है। गेहूँ में १०१ प्रतिशत, जौ ११५ प्रतिशत, श्रोट ५८ प्रतिशत, भालू