३२८ आर्थिक भूगोल तो तार टूट जाता है । लंकाशायर को पश्चिमी हवाधों से यथेष्ट नमी मिलती है। इसके अतिरिक्त लंकाशायर संयुक्तराज्य अमेरिका के बंदरगाहों के सामने पड़ता है इस कारण कपास के मंगाने में सुविधा है । इसके बातिरिक्त कोयला, चूने का पत्थर और पानी यथेष्ट है । लिवरपूल का बंदरगाह समीप ही है। पीढ़ियों का अनुभव, मज़दूरों की कुशलता, टैक्सटाइल शीनों का अाविष्कार तथा मैंचेस्टशिप कैनाल के कारण भी यह धंधे का केन्द्र बन गया । ब्रिटेन कयास उत्सन्न नहीं करता। वहाँ कास संयुक्तराज्य अमेरिका, मिश्र, भारत, पीक, खुदान, और ब्राजील से आती है। लंकाशायर में भिन्न भिन्न केन्द्रों में धंधे का रूप भिन्न है। वहाँ येप्रक केन्द्र किसी वस्त्र विशेष को तैयार करता है । उदाहरण के लिये उत्तर के केन्द्र प्रेस्टन (Preston) ब्लैकबर्न (Black Burn) और बर्नले (Burnley) में सूती वस्त्र बुनने का धधा केन्द्रित है और दक्षिणी केन्द्रों अर्थात् श्रोल्ड हम ( Oldhum ) बोल्टन ( Bolton ) और बरी ( Bur) ) में सूत कातने का धंधा केन्द्रित है। यही नहीं वहाँ भिन्न भिन्न केन्द्रों में केवल विशेष कपड़े ही तैयार किये जाते हैं। कोई कोई केन्द्र किसी एक देश के लिए ही काड़ा तैयार करता है। एक कारखाना केवल शटिंग ही तैयार करता है तो दूसरा केवल कोटिंग । इस प्रकार धंधा वहाँ वैज्ञानिक ढंग से . . संगठित है। . लंकाशायर के अतिरिक्त स्काटलैंड के ग्लासगो (Glasgow ) और पैस्ले ( Paisley ) में भी यह धंधा केन्द्रित है। पैस्ले में डोरा बहुत तैयार किया जाता है और ग्लासगो के वे सभी सुविधायें हैं जो लकाशायर को उपलब्ध हैं। ब्रिटेन के सूती वस्त्र के मुख्य ग्राहक निम्नलिखित हैं:-भारत, चीन, मिश्र, जरमनी, हालैंड, टर्की, पश्चिमीय द्वीपसमूह दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मध्य अफ्रीका. आस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा, संयुत्त राज्य अमेरिका, स्पेन, इटली, फीस और स्विटज़रलैंड । ब्रिटेन भी जापान फ्रास, और जरमनी से सूती वातु मंगाता है। प्रथम महायुद्ध ( १९१४) तक ब्रिटेन का संसार के वस्त्र बाजार पर एकछत्र राज्य था किन्तु इसके उपरान्त संयुक्तराज्य अमेरिका और मुख्यतः जापान ने उसके बहुत से पूर्वी बाजार उससे छान निए । लंकाशायर के धधे के पतन का केवल यही कारण नहीं है एक दूसरा भी कारण है । वह यह है कि बहुत पूर्वी देश जो पहने ब्रिटेन से कपड़ा मँगाते थे अब स्वयं. उत्पन्न
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