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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३५३

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आर्थिक भूगोल

३४४ श्रार्षिक भूगोल रुस तथा सायबेरिया मुख्यतः कृषि प्रधान देश हैं। अनाज यहाँ अधिक राशि में उत्पन्न होते हैं । राई ( Rye ) यहाँ का मुख्य भोज्य पदार्थ है और उत्तर में टुंड्रा तथा दक्षिण पूर्व के सूखे प्रदेश को छोड़ कर सारे रुस में राई उत्पन्न होती हैं। उत्तर में जाड़े अधिक लम्बे होने के कारण तथा दक्षिण- पूर्व में वर्षा की कमी के कारण गेहूँ भी उत्पन्न नहीं हो सकता । गेहूँ उत्पन्न करने वाला क्षेत्र यूक्रेन से उत्तर-पूर्व की दिशा में सायबेरिया से अल्टाई पहाड़ों तक फैला हुआ है । यूक्रेन का क्षेत्र गेहू उत्पन्न करने वाले अन्य क्षेत्रों से अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि एक तो यहाँ वर्षा निश्चित है दूसरे यह काले सागर के समीप स्थित है इस कारण ओडेसा इत्यादि बंदरगाहों के द्वारा गेहूँ आसानो से बाहर भेजा जा सकता है। डान ( Don ) बेसिन का उपजाऊ क्षेत्र भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि रोसटाव ( Rostov ) से उस प्रदेश का अनाज बाहर भेजा जा सकता है। सायबेरिया के अनाज को रेल द्वारा बहुत दूर ले जाना पड़ता है। तब कहीं वह विदेशों को भेजा जा सकता है, इस कारण सायवेरिया की उत्पत्ति अभी बहुत अधिक बढ़ी नहीं है। गेहूँ के क्षेत्र में चुकंदर भी उत्पन्न होता है किन्तु यूक्रेन में इसकी पैदावार विशेष रूप से अधिक होती है । ओट और जौ गेहूँ के क्षेत्र के अतिरिक्त मध्य और उत्तर रुस तथा सायबेरिया के वनों को साफ करके निकाली हुई भूमि पर भी पैदा किया जाता है । यूक्रेन में मकई भी खूब पैदा होती है। गेहूँ क्षेत्र के सूखे भाग में ज्वार बाजरा भी उत्पन्न होता है । गेहुँ क्षेत्र में तिलहन भी खूब उत्पन्न किया जाता है। मध्य तथा पश्चिमी रुस में पटसन ( Flax ) और फुलसन ( Hernp ) बहुत होता है। बालू. सर्वत्र उत्पन्न होता है । यूक्रेन में तम्बाकू को भी अच्छी पैदावार होती है। वन-इस तथा सायबेरिया के वन दो अरब एकड़ भूमि पर फैले हुए हैं। इन वनों में लकड़ी का कोई ठिकाना नहीं है । मागों की असुविधा के कारण इन वनों का अभी तक पूरा उपयोग नहीं होता है । लकड़ी का तार (Wood Tar and Pitch ) उत्तर के वनों में तैयार किया जाता है और पारगिल से विदेशों को भेजा जाता है । कागज़ का धंधा भी अब तेजी से उन्नति कर रहा है। मछलियाँ-सोवियट रुस में मछली का धंधा भी महत्त्वपूर्ण है। स्टर्जियन (Sturgeon ) नामक मछली कैस्पियन सागर यथा वालगा में बहुत पकड़ी जाती है । यहाँ लगभग ११५,००० मछुआरे तथा उनके कुटुम्ब के लोग इस ।