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३५८
आर्थिक भूगोल

३५८ आर्थिक भूगोल यह महाद्वीप क्षेत्रफल में संयुक्तराज्य अमेरिका के बराबर (३० लाख वर्ग मीन) है। यह एक नीचा पठार है । पूर्व की ओर श्रास्ट्रेलिया पूर्वी पर्वतमाला है । इस पर्वतमाला और समुद्र के बीच में चौड़ा मैदान है । आस्टे लिया का धरातल इस प्रकार का बना हुआ है कि सब ओर ढाल है। उत्तर में कारपेन्टरी की खाड़ी की दक्षिण में रेम नदी की औ तथा पश्चिम में ईरी ( Eyre ) मील की ढाल हैं। आस्टे लिया का लगभग एक तिहाई भाग ऊष्ण कटिबन्ध में स्थित है । अन्दर की भोर गर्मियों में बहुत गर्मी पड़ती है। जाड़े के दिनों में दक्षिण पूर्व में अधिक ठंड होती है। वर्षा आस्ट्रेलिया में बहुत कम होती है। उत्तरी भाग में वर्षा गर्मियों में होती है और दक्षिण-पूर्वी भाग में जाड़ों में वर्षा होती है। किन्तु अधिकांश भीतरी आस्ट्रेलिया में वर्षा बहुत कम ( १० इंच ) होती है। वह शुष्क देश है। अधिकांश आस्ट्रेलिया शुष्क है । अन्दर की ओर जलवायु गोरी जातियों के लिए अनुकूल नहीं है । अतएव अधिकांश आस्ट्रेलिया गोरी जातियों के निवास के अयोग्य है । परन्तु गोरे लोग एशियाई देशों के निवासियों को आकर रहने देना नहीं चाहते । इस कारण यह प्रदेश जनशून्य है । केवल समुद्र तट के समीपवर्ती मैदानों में आबादी है। यद्यपि आस्ट्रेलिया का बहुत सा प्रदेश मरुभूमि है परन्तु मरुभूमि में भी जहाँ सोना मिलता है वहाँ खनिज केन्द्र स्थापित हो गए । मरुभूमि के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया में ऐसा भी प्रदेश है जो उपजाऊ बनाया जा सकता है परन्तु वे भाग भी जनसंख्या की कमी के कारण अभी तक वीरान पड़े हुए हैं। पानी की कमी के कारण आस्ट्रेलिया में खेती बारी के लिए सिंचाई की आवश्यकता है। परन्तु इस देश में सिंचाई के साधन भी अधिक उपलब्ध नहीं हैं। अधिकांश नदिया गरमियों में सूख जाती हैं । केवल "मरे" और उसकी सहायक "मरमविजी' अवश्य ही वर्ष भर बहती हैं। भीतर की ओर इन नदियों से सिंचाई की जाती है। इनके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया में सिंचाई का एक दूसरा साधन भी है। पूर्वी पर्वत माला के पश्चिम में जो मैदान हैं उनमें पाताल फोड़ कुयें ( Artesian wells ) बनाने गए हैं। इन कुओं की विशेषता यह है कि पृथ्वी खोदने पर जल बड़े वेग से ऊपर उठता है, या तो पानी बाहर आ जाता है, अथवा वह इतना ऊपर उठ जाता है कि पाइप के द्वारा उपयोग में लाया जा सके । कुछ लोगों का विचार है कि भविष्य में पृथ्वी के गर्भ का जल कम हो सकता है। इस कारण उसे किफायत