पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३७६

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दूसरा भाग
पन्द्रहवां परिच्छेद
भारतवर्ष की प्रकृति

दूसरा भाग पन्द्रहवाँ परिच्छेद भारतवर्ष की प्रकृति भारतवर्ष एक विशाल महादेश है इसका क्षेत्रफल (पाकिस्तान और हिन्दोस्तान मिलाकर ) १५, ७५, १०७ वर्ग मील है। यहाँ की जनसंख्या लगभग ३६ करोड़ है । सम्पूर्ण भारत की लम्बाई उत्तर से दक्षिण तक २००० मील और चौड़ाई पश्चिम से पूर्व तक २५०० मील है। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि इस को छोड़कर वह समस्त योरोप के बराबर है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दृष्टि से भारत की स्थिति बहुत अच्छी है । पूर्वीय गोलार्द्ध में उसकी स्थिति मध्य में है और वह हिन्द- स्थिति महासागर के सर पर स्थित है इस कारण भिन्न भिन्न देशों से व्यापार सम्बन्ध स्थापित करने में उसे बहुत बड़ी प्राकृतिक सुविधा है । अफ्रीका, योरोप, पास्ट्रेलिया तथा पूर्वीय एशिया और अमेरिका को जो भी समुद्री मार्ग हैं वे भारत को उसकी स्थिति के कारण सुलभ हैं और वह उन मागों पर पड़ता है । यह भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बहुत लाभदायक बात है। उत्तर में पहाड़ों तथा दक्षिण में समुद्र के कारण भारत की प्राकृतिक सीमायें निर्धारित हो गई हैं। यद्यपि उत्तर के पहाड़ों ने भारत को एशिया के अन्य देशों से पृथक् कर दिया है और इस कारण उन देशों से स्थल द्वारा व्यापार करने में रुकावट होती है किन्तु फिर भी उत्तर पश्चिम में बहुत से दरें हैं जिनसे मारतवर्ष अपने पड़ोसी एशियाई देशों से व्यापार करता है। मुख्य दरें निम्नलिखित हैं (१) बोलन का दर्रा-जिससे अफगानिस्तान को रास्ता जाता है। (२) कराकोरम का दर्रा ( काश्मीर में ) जिससे तुर्किस्तान को रास्ता जाता है। (३.) जेलापला का दर्रा जो शिक्किम से तिब्बत को जाने का मुख्य 'मार्ग है। यह सभी दरे १४,००० फीट से अधिक ऊँचे हैं।