पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३९२

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३८१
भारतवर्ष की प्रकृति

भारतवर्ष की प्रकृति ३८१ अासाम की तरह नम हैं । यह कर्क रेखा से भी अधिक दूर नहीं । इसलिए यहाँ गर्मियों में खूब गर्मी और सरदी में ठंड पड़ती है । पी अत्पपिक परी मादे पे सोत,निमी में पीवोष्ण व्यय जमिशीतगा पत्य शीतल Singh ne Mae e baie andere e dalla sua e zbu विशेषकर पाड़े में वर्ण पावरप्पा आदेशीतोष विशेषकर भावे में भारत पारे पापपन्य मापारण पर्या आदि में चौधोपण, गीर गीय साधारण गयी च भत्पन्च --Lot ja eh ने मैदान पणनम मलवाए। विपकर गर्मी में वर्ण माई मधहोण, या समाधारण We hiljali भाई तो ५पार अत्यधिक होताशीवो पप पवा' पले पगर थी। शोतोष्ण, पारे पर्श ना मात्र तापक्रम पर ऊँचाईका भी बहुत प्रभाव पड़ता है । जैसे जैसे ऊँचाई बढ़ती जाती है वैसे ही वैसे तापत्र कम होता जाता है । ३०० फीट की ऊँचाई पर एक अंश तापक्रम कम हो जाता है। इसी कारण हिमालय की ऊँची चोटियों पर जून में भी बरफ जमा रहता है जब हिन्दोस्तान के उत्तरी मैदानों में भीषण गर्मी पड़ती है।