३.० आर्थिक भूगोल भारत में अमर ज़मीन की उत्पत्ति का सिंचाई से घनिष्ठ सम्बंध है। भावश्यकता से अधिक सिंचाई होने से उसमें रेह नमक ( Alkaline Salt ) रह जाते हैं। यदि यह रेह अधिक इकट्ठा हो गया तो फिर भूमि ऊसर बन जाती है और खेती के अयोग्य बन जाती है। भारतवर्ष एक विशाल देश है। इसको लम्बाई चौड़ाई लगभग २००० मील है। ऐसे विशाल देश के भिन्न भिन्न भागों में, भारतवर्ष का यदि एकसा जलवायु न हो तो कोई आश्चर्य नहीं जलवायु है। इस देश में सूखे मैदानों से लेकर वर्षा के कारण लहलहाते हुए वन प्रदेश भी मिलते हैं । आर्थिक भूगोल के विद्यार्थी को किसी भी देश के जलवायु को जानना नितान्त श्रावश्यक है क्योंकि जलवायु पर ही किसी देश की खेती निर्भर रहती है। भारतवर्ष तो कृषि प्रधान देश है। इस कारण यहाँ जलवायु का प्रभाव मनुष्यों के आर्थिक जीवन पर अन्य देशों की अपेक्षा अधिक है। हिन्दुस्तान का दक्षिणी भाग कर्क रेखा और भूमध्य रेखा के मध्य में स्थित है । प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग लंका भूमध्यरेखा के अधिक समीप है । इस कारण यह भाग प्रायः साल भर गरम रहता है । यही कारण है। कि दक्षिण भारत में गरम कपड़े नहीं पहने जाते । यहाँ गरमियों और जाड़ों के तापक्रमों में अधिक अन्तर नहीं होता। यदि हम उत्तर में बम्बई तक बढ़े तो तापक्रम का भेद भी बढ़ता जाता है । परन्तु प्रायद्वीप के सब भागों में तापक्रम में भेद एकसा नहीं होता । जो भाग समुद्र के समीप है, वहाँ तापक्रम का भेद कम है और जो समुद्र से दूर है वहाँ अधिक है। एकही अक्षांश वाले स्थानों में सूर्य की किरणें समान कोण से गिरती हैं। दिन और रात्रि की लम्बाई भी समान होती है । पर हवा की नमी और खुश्की के कारण इनके तापक्रम में भेद हो जाता है। हवा में जितनी ही नमी होगी उतना ही कम भेद शीतकाल तथा ग्रीष्म काल में होगा। यही कारण है कि समुद्र के समीपवर्ती प्रदेश के तापक्रमों में कम अन्तर होता है । सिंघ, राजपूताना, तथा पश्चिमी पंजाब में यह भेद और भी अधिक हो जाता है। डेराइस्माइल खा में किसी किसी साल सरदी में बर्फ पड़ जाता है, परन्तु गरमी का तापक्रम १२०० फै० ० रहता है । इसके विपरीत प्रासाम और पूर्वी बंगाल में गर्मी खुश्क नहीं होती। जिन दिनों उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी और खुश्की के कारण हरियाली का चिन्ह भी नहीं होता और धूल उड़ा करती है उन दिनों में प्रासाम, बंगाल और लंका में सब कहीं हरियाली रहती है। गुजरात, मध्यप्रनत, मध्य भारत, बिहार, संयुक्तप्रान्त न सिंघ की तरह खुश्क हैं और न
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