पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३९०
आर्थिक भूगोल

३६० आर्थिक भूगोल भारतवर्ष में जलाने की लकड़ी की कमी के कारण किसान गोबर को जला डालता है। इस नाशकारी प्रथा के कारण भूमि को यथेष्ट खाद नहीं मिलती और भूमि कमजोर होती जाती है। यदि असर तथा बंजर भूमि पर वृक्ष लगाये जायें तो खाद की समस्या हल हो सकती है। भारतवर्ष के वनों A Forest में अनन्त राशि में धास उत्पन्न होती है। इन वनों में लगभग एक करोड़ पशु प्रतिवर्ष चरते हैं। इसके अतिरिक्त घास दूर दूर भेजी जाती है । भारत के किसी न किसी भाग में प्रतिवर्ष दुर्भिक्ष पड़ता है। लाखों पशु बिना चारे मर जाते हैं। यदि वन विभाग चारे को इकट्ठा करे तथा पशुओं को चरने की अधिक सुविधा दे तो चारे की समस्या कुछ हद तक हल हो सकती है। वनों के समीपवर्ती गाँवों के किसान पशुओं को चराकर, तथा वनों की जड़ी, फल बूटियों तथा औषधियों को इकट्ठा करके अपना गुज़र करते हैं। इनके अतिरिक्त वनो से हमें बहुमूल्य लकड़ी तथा अन्य कच्चा माल मिलता है जिसके आधार पर बहुत उद्योग-धंधे पनप सकते हैं। .