खनिज सम्पत्तिः ४०७ लाख टन मदरास प्रान्त में सलेम और नेलोर जिलों में बहुत लोहा भरा पड़ा है। ऐसा अनुमान किया जाता है कि यहाँ की खानों में लोहा इतना अधिक भरा पड़ा है कि जिसका ठीक अनुमान ही नहीं किया जा सकता। यह लोहा मैगनेटाइट ( Magnetite ) जाति का है। किन्तु यहाँ भी कोयला न होने के कारण इस लोहे का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऊपर दिये हुये विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि जहां तक लोहे का प्रश्न है भारतवर्ष बहुत धनी है। यहाँ का लोहा बहुत अच्छा है और कचे लोहे में शुद्ध लोहे का प्रतिशत.६०% प्रतिशत से भी अधिक है। अभी तक लोहे का धन्धा पूरी तरह से उन्नत नहीं हुआ है इस कारण उसका पूरा उपयोग नहीं हो सका है। जितना लोहा इस समय भारतवर्ष में निकाला जाता है उसका आधे के लगभग सिंगभूमि की खानों से निकाला जाता है; और अधिकांश कचा लोहा ताता कारखाने में काम पाता है। भिन्न भिन्न लौह केन्द्रों में जो कचे लोहे का कोष अनुमान किया जाता'. है वह नीचे लिखे अनुसार है सिंगभूमि जिले की खाने Forge क्योमर राज्य ६८६० बोनाई १४८० मयोरभंज राज्य १८० मदरास के नेलौर और सेलम जिल्ले के लोहे के सम्बन्ध में विशेषज्ञों का कथन है कि वह समाप्त नहीं होने वाला है। ऐसा अनुमान किया जाता है कि यह लौह क्षेत्र सब से धनी है। यहाँ मुख्य लौह केन्द्र जहाँ लोहा अधिक भरा है नीचे लिखे हैं। (१) गोदामलाई (२) पालामलाई (३) कोलीमलाई (४) पिरतामलाई (५) कोजामलाई (६) सिनगापट्टी । यहाँ कोयला न होने के कारण इनका उपयोग नहीं हो सकता। भारत में प्रतिवर्ष ३० लाख टन लोहा निकाला जाता है। इसका अधिकांश भाग सिंगभूमि जिले, क्योंझर राज्य और मयोरभंज राज्य से. निकलता है। भविष्य में भारत विदेशों को लोहा भेज सकेगा। कच्चे लोहे की वार्षिक उत्पत्ति लोहा टनों में उड़ीसा। क्योमर मयूरभंज • ३,०००,००० " - " "
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