पृथ्वी के धरातल को बनावट और मिट्टो २६ रह सकता है । इसी कारण उसका फर्श बनाने, ‘इमारत बनाने, कंकरीट में तथा रेलों की पटरियों के पास डालने में बहुत उपयोग होता है। गौण चट्टानों में रेत का पत्थर ( Sand-stone ) सबसे अधिक पाई . जाने वाली चट्टान है। रेत का पत्थर चक्कियों के पाट तलछट पाली बनाने में बहुत काम आता है। गौरण चट्टानों में जो चट्टाने तथा गौण दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चट्टान मिलती है वह है कई चट्टाने प्रकार की मिट्टियां (Clays) और शेल (Shales )। Secondary इन्हीं मिट्टियों पर ईटों और चीनी मिट्टी के बर्तनो. का Rocks धंधा निर्भर है। इस कारण ये चट्टानें आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। गौण चट्टानों में तीसरी महत्वपूर्ण चट्टान चूने का पत्पर ( Limee-stone) है । चूने का पत्थर इमारत तयां कंकरीट बनाने में बहुत काम आता है। इस चट्टान में अबरख की चट्टान, स्लेट ( जिसका उपयोग इमारत की . छतें पाटने में बहुत होता है ) संगमरमर जो इमारत परवर्तित चट्टाने का वहु-मूल्य पत्थर है मुख्य हैं । भूगर्भ विद्या (Geol- Metamorphic ogy ) के जानने वालों ने चट्टानों का समय के अनुसार __ rocks मी विभाजन किया है। बात यह है कि प्रारम्भ में जब पृथ्वी ठंडी हो रही थी उस समय उस पर किसी प्रकार की वनस्पति, कीड़े मकोड़े तथा पशु पक्षी नहीं थे। जैसे जैसे पृथ्वी ठंडी होती गई और पिघले हए पदार्थो के जमने से चट्टानें बनने लगी तो क्रमश: वनस्पति, कीड़े, पशु, पक्षियों और मनुष्यों को सृष्टि प्रारम्भ हुई। जिस युग में चट्टान बनी होती है उस युग के जीवन के उसमें चिन्ह मिलते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी समय पृथ्वी पर सघन वन खड़े थे तो उस समय की बनी हुई चट्टानों में वृक्षों के चिन्ह अंकित ( Fossil ) मिलते हैं। पृथ्वी पर वनस्पति, पशु पक्षी तथा मानव जाति के प्रगट होने के समय क्रमशः जो चट्टानें बनी उनमें इनके चिन्ह मिलते हैं और इसी आधार पर भूगर्भवेत्ताओं ( Geologists ) ने चट्टानों के बनने की क्रिया को चार युगों में बांटा है। (१) प्राचीनतम ( Archaezoic ) युग की चट्टानें; उस समय बनी जब पृथ्वी पर जीवन का प्रादुर्भाव हो रहा था यद्यपि उस युग की चट्टानों में किसी प्रकार के फासिल ( Fossil ) नहीं मिले हैं। दूसरा युग वनस्पति तथा पशुओं का था। उस समय की बनी हुई चट्टानों में इसके चिन्ह मिलते हैं । इस युग को प्रारम्भिक ( Palaeozoic ) युग कहते हैं और . इस युग की चट्टानों को प्रारम्भिक (Palaeozoic ) चट्टानें कहते हैं। तीसरा
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