पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४२२

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खनिज सम्पति

खनिज सम्पत्ति बोलमैम से टंगस्टन ( Tungsten ) बनाया जाता है। बढ़िया स्टोल बनाने के लिए टंगस्टन का उपयोग होता है। वोलमम जिस स्टील से श्रौज़ार हपियार तथा यंत्र बनाये जाते (Wolfram ) हैं उसको तैयार करने के लिए टंगस्टन की आवश्यकता होती है । टंगस्टन एक अत्यन्त आवश्यक धातु है। बोलफ्रेम सब से अधिक बर्मा में निकलता है। किन्तु अब बर्मा भारतवर्ष का अंग नहीं है। मारतवर्ष में बिहार के सिंगभूमि जिले में, मध्यप्रान्त में अगरगाव, तथा जोधपूर राज्य में दागाना में, बोला म पाया जाता है। किन्तु सिंगभूमि के अतिरिक्त और कहीं निकाला नहीं जाता। बाइसाइट का उपयोग यलमीनियम के बनाने में होता है। भारतवर्ष बाक्साइट में बास्साइट प्रायद्वीप में बहुत मिलता है। (Bauxite ) मध्यप्रांत में कटनी, बालघाट, मांडला, तथा सारगूजा राज्य में चाक्साइट पायो जाता है। मध्यमारत के रीवा तथा भोपाल राज्यों में, तथा छोटा नागपूर, बिहार, और उड़ीसा में, बम्बई प्रान्त के सतारा तथा कैरा जिलों में; मैसूर तथा काश्मीर में बाक्साइट पाया जाता है किन्तु अमी' तक अधिक निकाला.. नहीं जाता। यदि सस्ती बिजली मिलने की सुविधा हो तो यलूमीनियम का धन्धा मारतवर्ष में विशेष उन्नति कर सकता है। कुछ यलूमीनियम के कारखाने भारतवर्ष में स्थापित हो गए हैं किन्तु अभी तक यह धन्धा भारतवर्ष में अधिक उन्नति नहीं कर सका है। इसके दो कारण हैं । एक तो भारतवर्ष में यलूमीनियम के बर्तनों का चलन नहीं है और दूसरे यहाँ सस्ती बिजली मिलने की सुविधा नहीं है। भारतवर्ष में अत्यन्त प्राचीन समय से पत्थर का उपयोग इमारतों के बनाने में किया जाता रहा है। भारतवर्ष की ऐतिहासिक । पत्थर इमारते वाज, किले, और राजपूताने के राज्यों के प्रसिद्ध महल, तथा प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर पत्थर के बने हुए हैं। इमारतों का पत्थर अधिकतर विध्या-पर्वत माला तथा अरावली की पहाड़ियों से प्रात होता है। राजपूताने के समी राज्यों तथा मध्यप्रान्त के अधिकांश राज्यों में इमारत के लिए पत्थर निकाला जाता है। दक्षिण भारत में अग्निमय चट्टानें मदरास में, ग्रेनाइट पत्थर धारकट तथा मैसूर में तथा ‘वम्बई और हैदराबाद में वैसल निकाला जाता है। मध्यप्रान्त में भी विध्या का पल्पर काम में आता है।