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आर्थिक भूगोल

पर्थिक भूगोल संगमरमर पत्परों में सर्व श्रेष्ठ है। यह मध्यप्रान्त के बैतूल, नागपूर, छिंदवारा, और जबलपुर में पाया जाता है । जोधपूर संगमरमर किशनगढ़ तथा अजमेर का सफेद संगमरमर भारत प्रसिद्ध है । जोधपूर में मकराना की खानों से निकला हुश्रा संगमरमर सबसे अच्छा होता है | आगरे का ताजमहल और कलकत्ते का विक्टोरिया मैमोरियल इसी पत्थर के बने हैं। राजपूताने के जैसलमेर, उदयपूर और जयपूर राज्यों में पीला काला और सफेद संगमरमर निकाला जाता है। स्लेट पंजाब, संयुक्तप्रान्त तथा विहार के हिमालय प्रदेश से निकाला स्लेट जाता है। क्रोमियम का उपयोग स्टील बनाने में होता है। जंग न लगने वाला स्टील बनाने में क्रोमियम को आवश्यकता होती है। क्रोमियम क्रोमियम बलूचिस्तान, मैसूर, तथा बिहार के सिंगभूमि (Chromium/) जिले में मिलता है। भारतवर्ष अधिकांश क्रोमियम विदेशों को भेज देता है। भारतवर्ष में सोना तथा अन्य बहुमूल्य धातुएँ बहुत कम मिलती हैं। भारतवर्ष में चादी बिलकुल ही नहीं मिलती। थोड़ा सोना सा सोना मिलता है। भारतवर्ष में जो भी सोना निकलता है उसका अधिकांश भाग मैसूर की कोलार सोने की खानों से ही मिलता है। कोलार सोने की खानों में बिजली से काम होता है। कावेरी नदी पर कृष्णराजासागर हाइड्रोइलेक्ट्रि प्लांट से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग होता है। कोलार की खानें बहुत ही गहरी (६५००० फीट) हैं और उनमें गरमी बहुत होती है । मैसूर के बाहर केवल हैदाराबाद राज्य की छुट्टी को खानों से ही कुछ सोना निकाला जाता है ! इसके अतिरिक्त आसाम, उड़ीसा, छोटानागपूर, तथा मैसूर में नदियों के रेत को घोकर सोना निकाला जाता है। किन्तु यह महत्वपूर्ण नहीं है। सीमेंट बनाने के लिए खड़िया, चूने का पत्थर, चौका मिट्टी तथा ऐसे ही दूसरे पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन्हें फूंक सीमेंट बनाने कर सीमेंट बनाया जाता है। विंध्य पर्वतीय प्रदेश में के पदार्थ ये पदार्थ यथेष्ट मिलते हैं। विहार तथा कठियावाद में भी ये पदार्थ मिलते हैं। मदरास प्रान्त में भी ये पदार्थ पाये जाते हैं। किन्तु धीमेंट के धंधे के लिए सबसे अधिक आवश्यक और महत्वपूर्ण कोयला है। यह धंधा कोयले पर निर्भर है। -