पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४२८

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खनिज सम्पति

खनिज सम्पत्ति ४१७ से नमक निकाला जाता है। इन झीलों के अतिरिक्त कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहाँ पृथ्वी के नाचे बहनेवाला नमकीन पानी निकाल कर उससे नमक बनाया जाता है। उदाहरण के लिए पंचभद्रा का नमक का कारखाना । इस प्रदेश में जो नमक मिलता है उसका कारण यह है कि दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली हवायें कच्छ की खाड़ी ( Rann of Cutch ) के प्रदेश से बारीक नमक के कणों को उड़ाकर लाती हैं और राजपूताने के मध्य में विछा देती हैं। वर्षा ऋतु का पानी इस नमक को बहाकर इन झीलों में इकट्ठा कर देता है। नमक की झीलों में सांभर सबसे बड़ी है। पूरी भरी होने पर इसका क्षेत्रफल १० वर्ग मील होता है। जब मील का पानी सूख जाता है तो झील की मिट्टी के ऊपर नमक जम जाता है। झील में एक किनारे पर एक बहुत बड़ा बांध बनाया गया है और झील का पानी इस तालाब में पम्प के द्वारा पहुँचाया जाता है । इस बड़े जल भंडार से पानी छोटे भंडारों में पहुँचाया जाता है । अन्त में उन हौज़ों में ले जाया जाता है जहाँ पानी भाप बन कर उड़ जाता है और केवल नमक ही रह जाता है.। सांभर का नमक संयुक्तप्रान्त तथा राजपूताना में बिकता है। पत्थर का नमक पंजाब को नमक की पहाड़ियों (Salt Range) से हा निकलता है। नमक अधिकतर उन पहाड़ियों में खेवा की खानों से निकलता है परन्तु कुछ नमक वार्चा और नुरपुर की खानों से भी निकाला जाता है । सैकड़ों वर्षों से खेखा की खानों से नमक निकाला जाता रहा है किन्तु १८७० से आधुनिक ढंग से खानों को खोदा जाने लगा है। नमक पर एकाधिपत्य स्थापित करके भारत सरकार ने नमक जैसी दैनिक आवश्यकता की वस्तु को निर्धन भारतीयों के लिए मँहगा बना दिया था। इसी कारण देश में नमक कर का इतना अधिक विरोध हुआ। हर्ष की बात है कि राष्ट्रीय सरकार ने नमक कर को उठा दिया । नीलाथोथा औद्योगिक खनिज है । इसकी बहुत बड़ो मांग है। यह मुख्यतः बिहार और संयुक्तप्रान्त में निकाला जाता है। नीलाथोथा इसके तैयार होने का मुख्य केन्द्र फरुखाबाद है। (Saltpeter ) भारतवर्ष में जितना भी नीलापोथा तैयार होता है उसका अधिकांश भाग विदेशों को चला जाता है घोड़ा सा आसाम के चाय के बागों में काम आता है। मा० भू.-५३ . 1